Allu Arjun को Pushpa 2 के लिए Gaddar Telangana Film Awards में Best Actor, CM Revanth Reddy के साथ मंच पर सुलह

/ द्वारा parnika goswami / 0 टिप्पणी(s)
Allu Arjun को Pushpa 2 के लिए Gaddar Telangana Film Awards में Best Actor, CM Revanth Reddy के साथ मंच पर सुलह

हैदराबाद में गद्दार तेलंगाना फिल्म अवॉर्ड्स: मंच पर सुलह का लम्हा

जिस नेता ने कुछ समय पहले सख्त बयान दिए थे, उसी नेता ने शनिवार शाम हैदराबाद के हिटेक्स में अवॉर्ड उठाते वक्त स्टार को मुस्कुराते हुए बधाई दी—और सभागार खड़ा हो गया। यह पल सिर्फ अवॉर्ड का नहीं, रिश्तों के नरम पड़ने का भी था। पहले गद्दार तेलंगाना फिल्म अवॉर्ड्स में Allu Arjun को Pushpa 2: The Rule के लिए बेस्ट एक्टर मिला, और ट्रॉफी उन्हें सीधे मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने सौंपी।

समारोह का पैमाना बड़ा था—राज्य सरकार की मेजबानी, मंच पर मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, सिनेमाटोग्राफी मंत्री और टॉलीवुड के दर्जनों नाम। पहली ही एडिशन में यह अवॉर्ड शो रीजनल सिनेमा की चमक और सरकारी सहयोग दोनों को साथ रखकर चला। यह वही शाम थी जब सोशल मीडिया पर ‘रेडेम्प्शन मोमेंट’ की चर्चा ट्रेंड करने लगी—मतलब, एक नई शुरुआत।

स्टेज पर अरु‍ण का अंदाज पुराना ही रहा—जैसे ही उन्होंने “थग्गेदे ले” बोला, दर्शक सीटें छोड़कर चिल्लाने लगे। उन्होंने अवॉर्ड अपने फैंस, यानी ‘आर्मी’, को समर्पित किया। और फिर, मुख्यमंत्री से इजाज़त लेकर उन्होंने Pushpa 2 का लोकप्रिय “गंगम्मा थल्लि जत्रा” वाला डायलॉग सुनाया तो तालियों की आवाज़ कुछ देर थमी ही नहीं। यह छोटा-सा इशारा ही बताने के लिए काफी था कि तालमेल वापस आ गया है।

समारोह के बाद अभिनेता ने एक्स (पहले ट्विटर) पर आभार जताया। पोस्ट में उन्होंने सरकार, मुख्यमंत्री, डिप्टी सीएम, सिनेमाटोग्राफी मंत्री, निर्माता दिल राजू और ज्यूरी को धन्यवाद कहा—और साथ ही इस पहल की तारीफ भी कि राज्य ने दस साल की सिनेमाई उपलब्धियों को संस्थागत तरीके से सलाम किया।

पृष्ठभूमि से परिचित लोग समझते हैं कि यह सिर्फ एक अवॉर्ड नहीं था। संध्या थिएटर में हुए भीड़भाड़ और भगदड़ वाले प्रकरण के बाद जो तल्खी दिखी थी, उसे इस मंच ने खत्म-सा कर दिया। वहां से यहां तक की दूरी तय करने में समय लगा, लेकिन शनिवार को जो बदला, वह था सार्वजनिक संदेश—तिकड़मी राजनीति से अलग, रचनात्मक उद्योग के साथ सरकार खड़ी है, और स्टार भी नियमों व सुरक्षा पर गंभीर हैं।

यह अवॉर्ड्स ‘गद्दार’ के नाम पर हैं—वह लोक गायक और आंदोलनकारी आवाज़, जिनका असली नाम गुम्मड़ी विट्ठलराव था। उन्होंने दशकों तक तेलंगाना की जनभावनाओं और असमानता पर गाया। उनके नाम पर अवॉर्ड्स रखना एक तरह से उस लोकधारा और पॉपुलर कल्चर के मेल का इशारा है, जो आज की टॉलीवुड फिल्मों में भी दिखता है—बड़े-बजट मनोरंजन, लोक-स्वाद और सामाजिक संवेदना का मिश्रण।

शाम के विजेताओं ने भी यही तस्वीर साफ कर दी। कॉल्की 2898 एडी ने बेस्ट फीचर फिल्म का खिताब लिया—यह वही महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है जिसने sci-fi को भारतीय मिथक के साथ जोड़ा और तकनीकी स्तर पर बेंचमार्क सेट किया। नाग अश्विन को बेस्ट डायरेक्टर मिला—उनकी स्टोरीटेलिंग और वर्ल्ड-बिल्डिंग को ज्यूरी ने सराहा। निवेथा थॉमस को 35 चिन्ना कथा कडू के लिए बेस्ट लीडिंग एक्ट्रेस, एसजे सूर्या को सरीपोधा सनिवरम के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर और श्रेया घोषाल को Pushpa 2: The Rule के लिए बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर चुना गया।

विजेताओं की यह सूची बताती है कि ज्यूरी ने मेनस्ट्रीम स्टार-पावर और कंटेंट-ड्रिवन सिनेमा, दोनों को जगह दी। एक तरफ जहां कॉल्की 2898 एडी जैसी हाई-कॉन्सेप्ट, हाई-टेक फिल्म को टॉप ऑनर्स मिले, वहीं 35 चिन्ना कथा कडू जैसी अपेक्षाकृत छोटी फिल्म की परफॉर्मेंस-ड्रिवन ताकत भी सामने आई। यही संतुलन अवॉर्ड्स को विश्वसनीय बनाता है—ना सिर्फ बड़े नाम, बल्कि ठोस काम।

अब बात Pushpa 2: The Rule की। पहली फिल्म Pushpa: The Rise ने पैन-इंडिया स्तर पर जिस तरह का सांस्कृतिक असर बनाया—बॉडी लैंग्वेज, डायलॉग्स, गाने—उसकी याद अभी ताज़ा है। उसी फ्रैंचाइज़ की दूसरी कड़ी के लिए बेस्ट एक्टर का शुरुआती अवॉर्ड मिलना फैंस के उत्साह को और बढ़ा देता है। यह इशारा भी है कि परफॉर्मेंस-लेवल पर फिल्म वही ऊर्जा लेकर आगे बढ़ रही है, जिसके कारण पहली फिल्म को नेशनल लेवल पर पहचान मिली थी।

हिटेक्स जैसा विशाल वेन्यू बताता है कि सरकार इस शो को महज ‘फिल्मी नाइट’ नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक ब्रांड बनाना चाहती है। हैदराबाद—स्टूडियो, पोस्ट-प्रोडक्शन, टेक्निकल टैलेंट और बड़े ऑडिटोरियम के साथ—देश की एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के लिए मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर देता है। गद्दार अवॉर्ड्स का पहला एडिशन इसी इकोसिस्टम को और स्थायी पहचान देने की कोशिश है।

जिस विवाद की वजह से यह सुलह मायने रखती है, उसे साफ-साफ याद कर लें। बड़े सितारों के इवेंट्स और थिएटर्स में अचानक उमड़ी भीड़ कई बार कंट्रोल से बाहर जाती दिखी है—सिर्फ हैदराबाद नहीं, दो-तीन राज्यों में। उसके बाद प्रशासन ने रात के खास शोज, प्रमोशनल इवेंट्स, टिकट स्लैब और सुरक्षा प्रोटोकॉल पर कड़े दिशानिर्देशों की बात की। इंडस्ट्री ने भी सीख ली—क्राउड मैनेजमेंट, बैरिकेटिंग, एंट्री-एग्जिट प्लान और मेडिकल सपोर्ट जैसे बुनियादी नियम अब इवेंट प्लानिंग का हिस्सा बनते जा रहे हैं। इसी संदर्भ में यह अवॉर्ड शाम भरोसा दिलाती है कि संवाद चालू है और आगे भी रहेगा।

स्टार और सरकार की दूरी कम होने से क्या बदलता है? सबसे पहले, परमिशन और क्लीयरेंस की प्रक्रिया सुगम होती है—शूटिंग, अडिशनल शोज, फैन-मीट्स। दूसरा, सिंगल-स्क्रीन्स के उन्नयन और मल्टीप्लेक्स में टिकट मॉडरेशन जैसे फैसले सहयोग से तय होते हैं। तीसरा, इवेंट सेफ्टी पर तथाकथित ‘दिखावे’ की जगह ठोस, लागू होने योग्य SOP बनते हैं। अंत में, यह सब बॉक्स ऑफिस के भरोसे में जुड़ता है—क्योंकि दर्शक तभी लौटते हैं जब उन्हें फील-गुड के साथ फील-सेफ भी मिले।

सेलिब्रेशन के बीच ज्यूरी पर भी रोशनी डालना जरूरी है। जब इंडस्ट्री से जुड़े लोग—निर्माता, वितरक, तकनीकी विशेषज्ञ—सरकारी प्रतिनिधियों के साथ बैठते हैं, तो अवॉर्ड्स को सिर्फ ग्लैमर नहीं, वैधता भी मिलती है। मंच पर दिल राजू जैसे वरिष्ठ निर्माता की मौजूदगी यही संकेत देती है कि शोपीस इवेंट के साथ-साथ यह एक ‘इंडस्ट्री-मीट’ भी था—जहां अगले साल की योजनाओं पर अनकहा रोडमैप बनता है।

टॉलीवुड की रफ्तार को समझना हो तो बस पिछले कुछ सालों के पैन-इंडिया रिलीज देख लीजिए। कंटेंट हाई-ऑक्टेन, म्यूजिक वायरल, मार्केटिंग एग्रेसिव—और टेक्निकल क्रू वर्ल्ड-क्लास। कॉल्की 2898 एडी जैसी फिल्में बताती हैं कि यहां कहानी सिर्फ गानों और फाइट तक सीमित नहीं, वर्ल्ड-बिल्डिंग और विजुअल डिज़ाइन भी उतने ही अहम हैं। उधर Pushpa जैसे ब्रांड दिखाते हैं कि लोक-लहजा, फैशन और फैन-फ्रेंज़ी से बनी पॉप-कल्चर की पकड़ बॉक्स ऑफिस में कैश कैसे होती है।

फैंस के लिए रात की सबसे बड़ी तस्वीर यही रही—स्टार ने मंच पर साफ-साफ कहा कि यह अवॉर्ड उनके नाम नहीं, उनकी ‘आर्मी’ के नाम है। फैन कल्चर को लेकर अक्सर सवाल होते हैं—हद से ज़्यादा दीवानगी, भीड़, रिस्क। मगर जहां स्टार अपने फैंस को गौरव भी देता है और नियमों का सम्मान करने को भी कहता है, वहां संतुलन बनता है। ‘थग्गेदे ले’ जैसा डायलॉग जब जिम्मेदारी के अंदाज में बोला जाए, तो उसका मतलब ‘जिद’ नहीं, ‘जुनून’ बन जाता है।

गद्दार के नाम की विरासत इस शाम की आत्मा थी। वह कलाकार जो मंच को आंदोलन बना देते थे, उनकी स्मृति में फिल्म अवॉर्ड्स—यह संयोजन खुद में प्रतीक है। रचनात्मकता सिर्फ बड़े सेट और बजट से नहीं, लोक-संवेदनाओं से भी बनती है। और जब राज्य उस भाव को मंच देता है, तो यह संदेश दूर तक जाता है—फिल्म सिर्फ मनोरंजन नहीं, समाज की धड़कन भी है।

आगे की राह? Pushpa 2 अपने आप में एक विशाल रिलीज़-इवेंट होगा—म्यूजिक ड्रॉप्स, ट्रेलर कट्स, शहर-शहर प्रमोशंस। इस बार इंडस्ट्री की कोशिश रहेगी कि हर एक्टिवेशन का सेफ्टी-डिज़ाइन पहले तैयार हो, फिर ग्लैमर जोड़ा जाए। सरकार की तरफ से आयोजन-परमिशन, शो-टाइम्स और पब्लिक ऑर्डर पर स्पष्ट गाइडलाइंस आएं तो प्रोसेस और स्मूथ हो जाएगा। शनिवार रात का हाथ मिलाना इसी दिशा की पहली टिक-मार्क है।

और हां, अवॉर्ड्स की क्रेडिबिलिटी साल-दर-साल बनती है। पहली एडिशन में ही अगर बड़े नामों के साथ परफॉर्मेंस-ड्रिवन काम को बराबरी मिली है, तो अगले साल ज्यूरी से उम्मीदें और बढ़ेंगी। तकनीकी श्रेणियां—एडिटिंग, साउंड, वीएफएक्स, प्रोडक्शन डिजाइन—को ज्यादा प्रमुखता मिले, तो यह शो क्षेत्रीय अवॉर्ड्स की भीड़ में अलग पहचान बना लेगा।

शनिवार को हिटेक्स के मंच पर जो तस्वीर कैद हुई—मुख्यमंत्री की मुस्कान, स्टार की झुककर सलामी, और दर्शकों की लगातार तालियां—वह अगले कुछ महीनों की हेडलाइन्स का टोन सेट कर गई। टॉलीवुड बनाम सरकार वाला नैरेटिव अब टॉलीवुड प्लस सरकार बन सकता है। और जब ऐसा होता है, तो फायदा सबसे पहले दर्शक उठाते हैं—बेहतर शो, सुरक्षित अनुभव और बड़े सपनों वाली फिल्में।

विजेताओं की संक्षिप्त सूची और संकेत

  • बेस्ट फीचर फिल्म: कॉल्की 2898 एडी
  • बेस्ट डायरेक्टर: नाग अश्विन
  • बेस्ट एक्टर: अल्लू अर्जुन (Pushpa 2: The Rule)
  • बेस्ट लीडिंग एक्ट्रेस: निवेथा थॉमस (35 चिन्ना कथा कडू)
  • बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर: एसजे सूर्या (सरीपोधा सनिवरम)
  • बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर: श्रेया घोषाल (Pushpa 2: The Rule)

इन नामों में एक साझा धागा है—मेनस्ट्रीम की चमक और नए प्रयोगों का साहस। यही संतुलन अगले दशक की तेलुगु सिनेमा की असली पहचान बनने वाला है। और अगर सरकार-इंडस्ट्री की यह ताज़ा केमिस्ट्री बनी रही, तो हैदराबाद सिर्फ शूटिंग हब नहीं, अवॉर्ड संस्कृति का भी केंद्र बनेगा।

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