जब CBDT ने 25 सितंबर 2025 को अपना नया निर्देश जारी किया, तो लाखों करदाता राहत की सास ले बैठे। यह CBDT Circular No. 14/2025नई दिल्ली ने आयकर ऑडिट रिपोर्ट की अंतिम तिथि 30 सितंबर 2025 से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 कर दी, जिससे बाढ़‑प्रभावित क्षेत्रों के व्यापारी और चार्टर्ड अकाउंटेंट दोनों को साँस लेने का मौका मिला।
पृष्ठभूमि और कारण
कोविड‑19 के बाद से भारत में कई प्राकृतिक आपदाओं ने व्यापारिक गतिविधियों को बाधित किया है, विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार और असम के कुछ हिस्सों में बाढ़ से उथल‑पाथल हुआ। इन घटनाओं के कारण कर विशेषज्ञों ने इंडियन चार्टर्ड अकाउंटेंट (ICA) असोसिएशन सहित कई प्रोफेशनल बॉडीज को वित्त मंत्रालय, राजस्व विभाग के पास लिखित प्रतिनिधित्व प्रस्तुत किया। उनका कहना था कि मौजूदा समयसीमा के भीतर ऑडिट तैयार करना लगभग असंभव हो गया था।
इन दबावों के साथ ही, हाई कोर्टों में कई अस्सेसियों ने भी ऑडिट रिपोर्ट के देर होने पर दंड के प्रश्न को उठाया, जिससे प्रशासनिक पक्ष को तेज़ी से कदम उठाना पड़ा। यही कारण था कि CBDT ने आधिकारिक तौर पर इस विस्तार को मंजूरी दी।
विस्तृत विवरण
नए दिशा‑निर्देश के तहत, सेक्शन 44AB के अंतर्गत ऑडिट‑आवश्यकता वाले अस्सेसियों को अब अपनी रिपोर्ट 31 अक्टूबर 2025 तक अपलोड करनी होगी। मूलतः, आयकर रिटर्न की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर 2025 रुख़ करती है; पर पहले यह रिपोर्ट 30 सितंबर 2025 को जमा करनी पड़ती थी। इस बदलाव से दो मुख्य प्रश्न उठते हैं:
- क्या आयकर रिटर्न की समयसीमा भी अपने‑आप 30 नवंबर 2025 तक बढ़ जाएगी?
- क्या इसके लिए अलग से कोई विज्ञप्ति की आवश्यकता होगी?
विशेषज्ञों की अलग‑अलग राय
अशिष मेहता, Khaitan & Co के पार्टनर, ने कहा: “रिटर्न की अंतिम तिथि में कोई बदलाव नहीं आया। ऑडिट रिपोर्ट का विस्तार केवल रिपोर्ट जमा करने की तिथि को बदलता है। यदि रिटर्न की अंतिम तिथि भी बढ़ानी है, तो CBDT को अलग नोटिफिकेशन जारी करना पड़ेगा।”
वहीं मिहिर टन्ना, S.K Patodia LLP के एसोसिएट डायरेक्टर, का तर्क है: “ऑडिट रिपोर्ट का विस्तार 31 अक्टूबर 2025 तक है, इसलिए रिटर्न की ड्यू डेट भी एक महीने आगे, यानी 30 नवंबर 2025 तक चलनी चाहिए। यह 2020 के वित्त बिल में संशोधित प्रावधानों के साथ संगत है।”
उद्योग और करदाताओं पर प्रभाव
लगभग 1.2 लाख अस्सेसियों को यह नया समय मिला है, जिनमें व्यापारियों की वार्षिक टर्नओवर ₹5 करौर (बिजनेस) या उसका अधिक होना, और पेशेवरों की ग्रॉस रसीदें ₹50 लाख से अधिक होना शामिल है। बाढ़‑पीड़ित किसान, छोटे उद्योग और फ्रीलांस प्रोफेशनल अब अपना ऑडिट प्रक्रिया पूरा कर सकेंगे, बिना देर‑भुगतान के जुर्माने के डर के।
इसी बीच, आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट ने पुष्टि की कि ई‑फ़ाइलिंग पोर्टल में कोई तकनीकी गड़बड़ी नहीं है, और सभी करदाता अपने ऑडिट दस्तावेज़ सफलतापूर्वक अपलोड कर सकते हैं।
आगे क्या हो सकता है?
वित्त मंत्रालय ने संकेत दिया है कि ऑडिट रिपोर्ट की नई समयसीमा के बाद रिटर्न की तिथि पर स्पष्टीकरण जारी किया जाएगा। अधिकांश विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि दो‑तीन हफ्तों के भीतर एक अतिरिक्त सर्कुलर आएगा, जिसमें संभवतः 30 नवंबर 2025 को नई रिटर्न ड्यू डेट घोषित की जाएगी।
ऐसा प्रतीत होता है कि यह विस्तार सिर्फ एक अस्थायी राहत नहीं, बल्कि भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं के कारण उत्पन्न होने वाली कर‑संबंधी समस्याओं के लिए एक मॉडल बन सकता है। यदि CBDT इस दिशा में आगे भी लचीलापन दिखाता है, तो करदाता‑संतुष्टि में उल्लेखनीय सुधार संभव है।
ऐतिहासिक संदर्भ
पहले भी भारत में प्राकृतिक आपदाओं के बाद आयकर समयसीमा में बदलाव देखे जा चुके हैं। 2019 में बिहार में बाढ़ के बाद, केंद्रीय इनकम टैक्स बोर्ड ने कुछ वर्गों के लिए आर्थिक वर्ष 2018‑19 की रिटर्न फ़ाइलिंग तिथि एक महीने आगे बढ़ा दी थी। उसी समय, 2020 के वित्त बिल ने ऑडिट रिपोर्ट और आयकर रिटर्न की समयसीमा को सार्थक तौर पर अलग‑अलग किया, जिससे इस बार की बहस अधिक जटिल हो गई।
इतिहास इंगित करता है कि जब तक सरकार की प्रतिक्रिया समय पर नहीं होगी, अस्सेसियों को अनावश्यक दंड और कानूनी जटिलताओं का सामना करना पड़ेगा। इसलिए, इस नवीनतम विस्तार को दर्शाया जाना चाहिए कि प्रशासनिक इकाइयाँ वास्तविक चुनौतियों को समझकर कार्रवाई कर रही हैं।
Frequently Asked Questions
क्या आयकर रिटर्न की अंतिम तिथि भी 30 नवंबर 2025 तक बढ़ेगी?
वर्तमान में CBDT ने केवल ऑडिट रिपोर्ट की तिथि को विस्तारित किया है। कई कर विशेषज्ञ मानते हैं कि रिटर्न की नई ड्यू डेट के लिए अलग नोटिफिकेशन आएगा। आधिकारिक घोषणा तक इसे निश्चित नहीं कहा जा सकता।
कौन‑से अस्सेसियों को यह विस्तार प्राप्त होगा?
वो सभी करदाता जो सेक्शन 44AB के तहत ऑडिट‑आवश्यक हैं—जिनकी टर्नओवर ₹5 करौर से अधिक है, प्रोफेशनल्स जिनकी ग्रॉस रसीदें ₹50 लाख से ऊपर हैं, और अन्य नियमानुसार ऑडिट‑शर्तें पूरी करने वाले लोग।
क्या बाढ़‑प्रभावित क्षेत्रों के करदाताओं को अतिरिक्त राहत मिलेगी?
विस्तार का मुख्य कारण बाढ़‑से उत्पन्न बाधाएँ थीं, इसलिए प्रभावित राज्यों के व्यापारियों को इस नई तिथि से लाभ मिलेगा। लेकिन अलग से कोई विशेष छूट या कर रियायत अभी घोषित नहीं हुई है।
यदि मैं 31 अक्टूबर तक ऑडिट रिपोर्ट नहीं जमा करूँ तो क्या होगा?
अगर रिपोर्ट निर्धारित तिथि के बाद भी नहीं दी गई, तो सेक्शन 44AB के अनुसार देर‑फाइलिंग पर 0.5 % प्रतिदिन या अधिकतम 5 % पेनल्टी लग सकती है। अतिरिक्त दंड भी लागू हो सकता है, इसलिए समय पर फाइलिंग आवश्यक है।
वित्त मंत्रालय कब अतिरिक्त स्पष्टीकरण जारी करेगा?
विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि अगले दो‑तीन हफ्तों में CBDT एक नया सर्कुलर जारी करेगा, जिसमें आयकर रिटर्न की नई समयसीमा स्पष्ट की जाएगी।
ONE AGRI
CBDT का यह कदम राष्ट्रीय हित में एक बड़ा कदम है। बाढ़‑प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को राहत मिलनी चाहिए, यही हमारा कर्तव्य है। सरकार ने समयसीमा बढ़ाकर अस्सेसियों को साँस लेने का मौका दिया है, जिससे आर्थिक पुनरुत्थान संभव होगा। यह विस्तार केवल प्रशासनिक लंच नहीं, बल्कि हमारे देश के किसानों और व्यापारियों की सुरक्षा का प्रतीक है। कई छोटे उद्योगों ने बताया कि बिना इस विस्तार के उनका व्यवसाय पूरी तरह से बंद हो जाता। आयकर विभाग की यह समझदारी भविष्य में भी आपदा‑प्रबंधन के मॉडल के रूप में काम करेगी। हमें गर्व है कि हमारा प्रशासन ऐसी संवेदनशील नीतियों को अपनाता है। यह निर्णय हमारी आर्थिक स्वतंत्रता को भी सुदृढ़ करता है, क्योंकि देर‑भुगतान के दंड से लोगों का वजन नहीं बढ़ता। बाढ़‑पीड़ित क्षेत्र में महिलाओं ने भी इस बदलाव को सुअवसर कहा है। इस निर्णय से निवेशकों का विश्वास भी बना रहता है, जो वैश्विक स्तर पर भारत की छवि को सकारात्मक बनाता है। कुछ विरोधी वर्ग अभी भी इसे राजनीति के साधन के रूप में देख रहे हैं, पर वास्तविकता यह है कि यह उपाय जनता के लिए है। इस प्रकार की लचीली नीतियों से राष्ट्र की प्रगति की राह सुगम होगी। हमें इस बात का जश्न मनाना चाहिए कि हमारी सरकार नागरिकों की समस्या को पहचानती है। यदि भविष्य में भी ऐसी ही समझदारी दिखेगी, तो भारत विश्व मंच पर और भी सम्मानित होगा। अंत में यही कहना चाहूँगा कि राष्ट्रीय एकता और विकास के लिए ऐसे कदम अनिवार्य हैं।
Hariprasath P
CBDT का नया ऑडिट विस्तार सच में एक राहत है, पर सिस्टम में अभी भी कई खामिया हैं। कई छोटे व्यापारियों को अभी भी फॉर्मलिटीज़ में दिक्कत आ रही है। अगर विभाग आगे भी ऐसी लचक दिखाएगा तो करदाता भरोसा करेंगे। पर कुछ लोग कहते हैं कि यह सिर्फ एक अस्थायी समाधान है। फिर भी, ये बदलाव फिज़िकल डैमेज वाले इलाकों में बहुत मदद करेगा।
Swetha Brungi
इस विस्तार से बाढ़‑पीड़ित क्षेत्रों में आर्थिक पुनरुद्धार की संभावनाएँ बढ़ती हैं। कर विभाग की इस पहल को देखें तो यह आपदा‑प्रबंधन में एक सकारात्मक कदम है। हालांकि, रिटर्न की अंतिम तिथि में परिवर्तन न होने से कुछ भ्रम पैदा हो सकता है। हमें उम्मीद है कि सरकार जल्द ही इस मुद्दे पर स्पष्टता प्रदान करेगी।
deepika balodi
बिल्कुल सही, ऐसे समय में राहत आवश्यक है।
Priya Patil
सभी करदाताओं को यह खबर सुनकर राहत महसूस होगी। बाढ़‑प्रभावित इलाकों में कई लोग इस विस्तार के बिना डेडलाइन को पूरा नहीं कर पाते थे। अब उन्हें अतिरिक्त एक महीना मिल गया है, जिससे फाइलिंग में तनाव कम होगा। यह न केवल वित्तीय बोझ घटाता है, बल्कि मानसिक शांति भी देता है। आशा है कि आगे भी ऐसी ही लचीलापन दिखाया जाएगा। सभी को शुभकामनाएँ!
Rashi Jaiswal
वाह! CBDT ने बाढ़‑पीड़ित लोगों को असली मदद दी है, बहुत बढ़िया लागा। अब हम सबको एक माह और मिल गया है, फाइल करने की फिकर नहीं। सिस्टम भी अब थोड़ा यूज़र‑फ्रेंडली लग रहा है। थोड़ी देर में सब कुछ ठीक हो जाएगा, बस थोड़ा धैर्य रखो। भरोसा है कि आगे भी ऐसे फैसले आएंगे।
Maneesh Rajput Thakur
ऐसा नहीं है कि केवल समय बढ़ाने से सब समस्याएँ हल हो जाएँगी। सेक्शन 44AB के तहत अन्य कई अनुपालन आवश्यकताएँ भी हैं, जिनपर ध्यान देना आवश्यक है। यदि रिटर्न की तारीख नहीं बदली तो करदाता को अभी भी देर‑फाइलिंग पेनल्टी का जोखिम रहेगा। इसलिए, विभाग को दोनों तिथियों को समन्वित करना चाहिए। यह केवल एक सतही उपाय नहीं, बल्कि सिस्टमिक सुधार की मांग है।
Himanshu Sanduja
सबको इस विस्तार की जानकारी देना जरूरी है ताकि कोई भी पीछे न रहे। छोटे व्यापारियों के लिए यह एक बड़ी राहत है। काम आसान हो जाएगा और फ़ाइलिंग प्रक्रियाओं में दिक्कत नहीं होगी। आशा है सभी इसे जल्दी अपनाएँगे।
Kiran Singh
👍 यह विस्तार बाढ़‑पीड़ित लोगों के लिए बहुत मददगार है 😊 आशा है सभी जल्दी से रिपोर्ट अपलोड कर पायेंगे 📂✨
Balaji Srinivasan
समय सीमा बढ़ाना एक सकारात्मक कदम है।
Vibhor Jain
ओह, अब एक महीने का अतिरिक्त समय, मानो सब कुछ ठीक‑ठाक हो गया हो। शायद इस से ही सभी मुद्दे सुलझ जाएंगे।
Rashi Nirmaan
यह निरंतर विलंब केवल प्रशासनिक अक्षमता को उजागर करता है। समयसीमा में विस्तार ने बुनियादी नियामक दायित्वों को टाल दिया है। ऐसे उपाय से कर प्रणाली में विश्वास घटता है। विभाग को शीघ्र ही स्पष्ट और स्थायी नीति प्रस्तुत करनी चाहिए। अन्यथा, यह केवल अस्थायी राहत के रूप में ही रहेगा।
Ashutosh Kumar Gupta
क्या कहा जाए, इस निर्णय पर मेरे दिल में उठते आँसू झलकते हैं! बाढ़‑पीड़ित लोगों को अब एक महीना और मिला, पर क्या यह पर्याप्त है? मेरे अनुसार, यह कदम पर्याप्त नहीं, लेकिन फिर भी सराहनीय है। आशा करता हूँ कि भविष्य में और बड़े बदलाव आएँगे।
fatima blakemore
सच में, CBDT का यह कदम बाढ़‑ग्रस्त इलाकों में बहुत मदद करेगा। लोग अब थोड़ा देर से भी सही, रिपोर्ट जमा कर पाएंगे। अगर रिटर्न की तिथि नहीं बदली तो थोडा कन्फ्यूजन रहेगा, पर फिर भी ये बड़ा सहारा है। हम सबको मिलकर इस सुविधा का उपयोग करना चाहिए।
vikash kumar
CBDT के नवीनतम निर्देश में केवल ऑडिट रिपोर्ट की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर 2025 तक विस्तारित की गई है; रिटर्न की नियत तिथि में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है, जैसा कि पूर्व सर्कुलर में स्पष्ट किया गया था।
Anurag Narayan Rai
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी इस नवीनतम सर्कुलर ने कर प्रणाली में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ प्रस्तुत किया है। बाढ़‑प्रभावित क्षेत्रों में व्यावसायिक गतिविधियों का प्रचलन अत्यंत प्रभावित हुआ था, जिससे कई करदाताओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। विभाग ने इस कठिनाई को देखते हुए ऑडिट रिपोर्ट की समयसीमा में एक महीने का विस्तार किया, जोकि 31 अक्टूबर 2025 तक वैध होगा। यह निर्णय न केवल आर्थिक पुनरुत्थान का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि सामाजिक स्थिरता को भी सुदृढ़ करता है। कई विशेषज्ञ इस विस्तार को एक रणनीतिक उपाय मानते हैं, जिससे भविष्य में संभावित आपदा‑प्रभावित मामलों में पूर्वानुमानित राहत उपलब्ध हो सके। हालांकि, रिटर्न की अंतिम तिथि में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है, जिससे कुछ करदाताओं में भ्रम उत्पन्न हो सकता है। विभाग को शीघ्र ही रिटर्न की नई नियत तिथि को भी स्पष्ट करना चाहिए, ताकि अनावश्यक दंड से बचा जा सके। इस बीच, कर अभिकर्ता और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को भी इस नई समयसीमा के अनुसार अपने कार्यप्रणाली को अनुकूलित करना होगा। बाढ़‑ग्रस्त क्षेत्रों में छोटे व्यापारियों को यह अतिरिक्त महीना काफी राहत देगा, जिससे वे अपने लेखा‑प्रक्रिया को व्यवस्थित कर सकेंगे। यदि इस नीति को निरंतर अद्यतन किया जाता है, तो यह भारत की आपदा‑प्रबंधन क्षमता को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित करेगा। इस प्रकार, यह विस्तार केवल एक अस्थायी उपाय नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक रणनीति के रूप में कार्य कर सकता है। अंततः, कर प्रणाली की लचीलापन और समयानुसार अनुकूलन ही इस देश की प्रगति की कुंजी है। भविष्य में ऐसी नीतियों की नियमित समीक्षा से करदाता और प्रशासन दोनों को लाभ होगा। साथ ही, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म की दक्षता को बढ़ाकर फाइलिंग प्रक्रिया को और तेज़ किया जा सकता है। कुल मिलाकर, यह कदम कर प्रणाली को अधिक लचीला और उत्तरदायी बनाता है।