झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने अपने राजनीतिक करियर में एक बड़ा कदम उठाते हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल होने का एलान किया है। उन्होंने 30 अगस्त को अपनी इस फैसले की औपचारिक घोषणा करते हुए बांग्लादेशी घुसपैठ को राज्य में एक गंभीर समस्या बताया। चंपई सोरेन ने कहा कि समाज और उनके क्षेत्र के लोग बांग्लादेशी घुसपैठ से परेशान हैं, और उनके विद्यमान पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) में उनके मुद्दों को सुनने का कोई प्लेटफार्म नहीं है।
पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठियों का संथाल परगना क्षेत्र में दबदबा बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इन घुसपैठियों के कारण आदिवासी समुदाय की जमीनों पर कब्जा हो रहा है, जिससे उनकी पहचान और अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है। सोरेन के अनुसार, अन्य पार्टियों ने इस मसले को जानबूझकर अपने राजनीतिक लाभ के लिए अनदेखा कर दिया है।
सोरेन ने यह भी उल्लेख किया कि उन्होंने यह फैसला अपने क्षेत्र को मजबूती और समर्थन देने के लिए लिया है। उनके अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में राज्य के हितों की सुरक्षा हो पाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी में शामिल होकर वह अपने मुद्दों को सशक्त तरीके से उठा सकेंगे।
चंपई सोरेन ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा से मुलाकात की थी, जहाँ उन्होंने अपने बीजेपी में शामिल होने की पुष्टि की। उनके साथ उनके बेटे बाबूलाल सोरेन भी बीजेपी में शामिल होंगे। इस फैसले को झारखंड में आगामी विधानसभा चुनावों के पहले बीजेपी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। बीजेपी को उम्मीद है कि सोरेन के इस कदम से पार्टी की स्थिति और मजबूत होगी और उसे नया समर्थन मिलेगा।
चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने के फैसले से झामुमो पार्टी में भारी विरोध हुआ है। JMM ने उन्हें अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। चंपई सोरेन का पार्टी छोड़ना झामुमो के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है, जिन्होंने अपने सबसे पुराने नेताओं में से एक को खो दिया है।
झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ का मामला लंबे समय से विवाद का विषय रहा है। राज्य विधानसभा में इस मुद्दे पर कई बार बहस और विवाद हो चुके हैं। विधायकों ने सरकार से इस पर ठोस कार्रवाई की मांग भी की है।
संथाल परगना क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोग इस समस्या से काफी चिंतित हैं। उनका कहना है कि घुसपैठियों की बढ़ती संख्या उनके जीवन को संकट में डाल रही है। भूमि के मामलों में दबाव बढ़ने के साथ ही उनकी खुद की भूमि पर अधिकार खोने का खतरा बढ़ गया है।
झारखंड राजनीत में नए समीकरण
चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने से झारखंड की राजनीति में नए समीकरण देखने को मिल सकते हैं। एक समय में झारखंड मुक्ति मोर्चा को अपनी सबसे बड़ी ताकत मानने वाले सोरेन की विदाई पार्टी के लिए बड़े झटके के रूप में देखी जा रही है। JMM इस घाटे की भरपाई कैसे करेगा, यह भी देखना दिलचस्प होगा।
वहीं, राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि बीजेपी के लिए चंपई सोरेन का इस तरह से शामिल होना आने वाले विधानसभा चुनावों में अहम भूमिका निभाएगा। इस कदम से बीजेपी को आदिवासी वोटों पर पकड़ और मजबूत हो सकती है, जो कि झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य में बहुत महत्वपूर्ण है।
स्थानिक मुद्दों पर बदलती राजनीति
चंपई सोरेन के इस कदम से यह साफ हो गया है कि स्थानिक मुद्दे जैसे कि बांग्लादेशी घुसपैठ का मसला, भविष्य की राजनीति में बड़ी भूमिका निभाएंगे। इस मुद्दे ने आदिवासी समुदाय के संगठन और सुरक्षा चिंता को प्रमुखता दी है।
चंपई सोरेन का कहना है कि बीजेपी में शामिल होकर वह अपनी आवाज़ को और मजबूती से उठा पाएंगे और अपने क्षेत्र के लोगों के लिए प्रभावी काम कर सकेंगे। इस फैसले से चंपई सोरेन की राजनीतिक कद में भी उछाल आ सकता है और उनके समर्थकों के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
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