करवा चौथ 2025लखनऊ, उत्तर प्रदेश इस साल 10 अक्टूबर शुक्रवार को पूरे भारत में मनाया जाएगा। सुबह‑सुबह सूरज उगते ही शादीशुदा महिलाओं अपना सवर्ण (सर्गी) लेती हैं और लगभग 06:19 एएम से लेकर चाँद दिखने तक उपवास रखती हैं। परन्तु लखनऊ में ठीक‑ठीक कब चाँद उगेगा, यही सवाल कई परिवारों के दिमाग़ में रहता है, क्योंकि वही समय ही फटाका (फास्ट‑ब्रेक) का निर्धारण करता है।
करवा चौथ का सांस्कृतिक महत्व
यह त्यौहार हिंदू कैलेंडर के कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष की चौथी तिथि को होता है, यानी ग्रेगोरियन कैलेंडर में अक्टूबर की पहली दो‑तीन शुक्रवारों में से एक को। उत्तर भारत में यह विशेष रूप से लोकप्रिय है; महिलाएँ इस दिन अपने पति के दीर्घायु और खुशहाली की कामना करती हैं। कई घरों में यह दिवस शादी के बाद की पहली बड़ी पूजा माना जाता है, और साथ‑साथ गणेश चतुर्थी (संकष्टि चतुर्थी) के साथ मेल खाने के कारण इस दिन को शुभ माना जाता है।
लखनऊ में 2025 का पूजा मुहूर्त और उपवास समय
पहली बार ड्रिक पंचांग ने लखनऊ, उत्तर प्रदेश के लिए करवा चौथ की पूजा मुहूर्त 05:43 पीएम से 06:57 पीएम के बीच तय की है। यह एक घंटे‑सत्र से थोड़ा अधिक टाइम‑स्लॉट है, जिससे महिलाएँ शाम के समय अपने पति के साथ मिलकर प्रार्थना कर सकती हैं। उपवास का प्रारम्भ 06:19 एएम से होता है और चाँद के दिखाई देने के बाद, यानी लगभग 08:17 पीएम के आसपास, फटाका होता है।
विभिन्न शहरों में चाँद उगने का समय
- दिल्ली – 08:13 पीएम (हिंदुस्तान टाइम्स)
- नोएडा – 08:13 पीएम (टाइम्स नाउ)
- गुड़गाँव – 08:14 पीएम
- गाज़ियाबाद – 08:12 पीएम
- चंडीगढ़ – 08:09 पीएम
- जयपुर – 08:22 पीएम
- हैदराबाद – 08:36 पीएम
- मुंबई – 08:55 पीएम (मनीकंट्रोल)
- पुना – 08:52 पीएम
- अहमदाबाद – 08:47 पीएम
- ग्वालियर – 08:15 पीएम (इकॉनॉमिक टाइम्स)
- इंदौर – 08:34 पीएम
- उज्जैन – 08:33 पीएम
- सिंदुर्नगर – 08:06 पीएम (टाइम्स ऑफ इंडिया)
भौगोलिक रूप से पूर्वी शहरों में चाँद पहले उगता है, जबकि पश्चिमी शहरों में देर से। यही कारण है कि लखनऊ का अनुमानित समय 08:15 से 08:20 पीएम के बीच है।
प्रमुख समाचार स्रोतों की पुष्टि
लखनऊ,पटना और भोपाल के लिए रिपब्लिक टीवी ने 10 अक्टूबर को लाइव कवरेज में सटीक तालिका पेश की। इसी दिन हिंदुस्तान टाइम्स ने बताया कि "करवा चौथ का सामाजिक महत्व सिर्फ रस्म‑रिवाज नहीं, बल्कि परिवार में जुड़ाव को बढ़ाता है"। टाइम्स नाउ ने कहा कि "शहरी महिलाएँ अब डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म से रीयल‑टाइम चाँद उगने का समय देख रही हैं" और इस दिशा में एक नया ट्रेंड बन रहा है।
एक प्रस्थापित ज्योतिषी, डॉ. अनीता पांडे (जिन्हें इस लेख में पहली बार उल्लेख किया गया है), ने कहा, "ड्रिक पंचांग की गणना बहुत ही विस्तृत है; लखनऊ जैसी लम्बी दिशा वाले शहरों में 1‑2 मिनट का अंतर भी व्यावहारिक रूप से फटाके को प्रभावित कर सकता है"। उनका यह बयान टाइम‑लाइन में चार्टेड होते हुए भी तर्कसंगत है क्योंकि लखनऊ का घोड़ी (longitude) 80.9462° ई है, जो मध्य भारत की रेंज में आता है।
भविष्य में क्या उम्मीदें
पिछले साल 2024 में लखनऊ की चाँद उगने का समय 08:14 पीएम दर्ज किया गया था, जबकि 2025 में यह 08:17 पीएम के करीब है। यह बदलाव पृथ्वी की कक्षा में मामूली परिवर्तन और स्थानीय मौसम‑पारिस्थितिकी के कारण है। अगले साल, तकनीकी प्लेटफ़ॉर्म जैसे कि Google Calendar और स्थानीय एसटीपी (सेल्फ‑टाइम‑प्रॉफ़ाइल) एप्प्स इस जानकारी को एक‑टैप में उपलब्ध कराएंगे, जिससे महिलाओं को रीयल‑टाइम अपडेट मिल सकेंगे।
सम्पूर्ण भारत में अब मोबाइल नोटिफिकेशन के ज़रिए चाँद उगने के समय का अपडेट मिल रहा है; इसलिए 2025 में भी महिलाओं को अपनी तैयारी में ज्यादा सहायता मिलने की संभावना है। इस ही क्रम में, स्थानीय रिटेलर्स ने पहले से ही सवर्ण (सर्गी) बक्से तैयार कर रखे हैं और ई-कॉमर्स साइट्स पर तेज़ डिलीवरी विकल्प उपलब्ध कराए हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
लखनऊ में करवा चौथ का चाँद कब निकलेगा?
ड्रिक पंचांग के अनुसार लखनऊ में चाँद उगने का अनुमान 08:15 से 08:20 पीएम के बीच है। अधिकांश लाइव अपडेट्स इस समय को 08:17 पीएम के आसपास पुष्टि करते हैं।
क्या करवा चौथ 2025 का उपवास समय सभी शहरों में समान है?
उपवास सूर्योदय से शुरू होता है, परन्तु दैनिक सूर्य उगने का समय शहर‑दर‑शहर थोड़ा अलग रहता है। इसलिए लखनऊ में उपवास 06:19 एएम से शुरू, जबकि ओडिशा या पश्चिमी राज्य में थोड़ा देर या जल्दी हो सकता है।
करवा चौथ पर पूजा मुहूर्त का महत्व क्या है?
पूजा मुहूर्त वह समय है जब ग्रहों की स्थिति अनुकूल मानी जाती है। इस दौरान महिलाओं द्वारा भक्ति‑भजन, द्रव्य‑चूर्ण अर्पण और पति के लिए प्रार्थना की जाती है, जिससे तेज़ी से वर‑विवाह के बंधन को सुदृढ़ किया जाता है।
भविष्य में चाँद उगने का समय कैसे पता चल सकता है?
डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म और एआई‑आधारित ज्योतिष ऐप्स रीयल‑टाइम छाया‑चित्र प्रदान करेंगे। उपयोगकर्ता अपने लोकेशन के आधार पर सटीक समय प्राप्त कर सकते हैं, जिससे फटाका जल्दी या देर नहीं होता।
करवा चौथ का सवर्ण (सर्गी) क्या होता है?
सवर्ण वह प्रातःकालीन नाश्ता है जो महिलाएँ उपवास शुरू करने से पहले खाती हैं। इसमें फल, नारियल पानी, हल्दी‑मीठा, पोहे या इडली‑समुच्चय शामिल होते हैं, जो ऊर्जा प्रदान करते हैं और उपवास के दौरान थकान से बचाते हैं।
Jyoti Bhuyan
सभी को करवा चौथ की शुभकामनाएँ, लखनऊ में चाँद 08:17 PM दिखेगा!
kuldeep singh
वाह, ये समय तो बिल्कुल सटीक है! बिना टाइम-टेबल के फटाके का इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा। लेकिन याद रखो, कुछ घरों में क्लॉक थोड़ा फिसल सकता है, इसलिए मोबाइल नोटिफिकेशन चेक करो। अगर देर हो जाए तो पति को थोड़ी मीठी माफी के साथ समझा देना।
Harman Vartej
ड्रिक पंचांग के अनुसार लखनऊ में चाँद का अनुमानित समय 08:15‑08:20 PM है, इसलिए फटाका उसी के अनुसार करना चाहिए।
Amar Rams
उपरोक्त विवरण को विचारपूर्वक विश्लेषित करने पर अभिज्ञान संकेतित करता है कि ज्योतिषीय प्रेक्षण एवं एरिथ्मोऑसिलेटर मॉड्यूल के सम्मिलन से परिमाणिक सटीकता का लैटेंस 0‑2 मिनट तक घटाया जा सकता है; अतः प्रचलित परम्परागत पंचांग के साथ प्रतिकूलता की संभावना न्यूनतम रहेगी।
Pravalika Sweety
करवा चौथ ने भारतीय पारिवारिक संरचना में सामंजस्य को सुदृढ़ किया है, और लखनऊ के स्थानीय समय को ध्यान में रखते हुए सभी महिलाएँ अपनी तैयारी समय पर कर सकती हैं।
anjaly raveendran
वास्तव में, यदि आप लखनऊ के भूगर्भीय अक्षांश‑देशांतर को ध्यान में रखेंगे तो चाँद का उगने का समय सटीकता से 08:17 PM पर स्थिर रहता है; इस छोटी‑से विचलन भी फटाके के समय को प्रभावी रूप से बदल सकती है, जिससे ऊर्जा प्रवाह में असंतुलन उत्पन्न हो सकता है।
Danwanti Khanna
अरे! बिल्कुल सही कहा, तुम्हारी बात में बहुत सारी महत्त्वपूर्ण बातें हैं, लेकिन ध्यान दो, मोबाइल एप्लिकेशन की रियल‑टाइम अपडेट्स अक्सर 1‑2 मिनट तक लेट हो जाती हैं, इसलिए हमेशा दो‑तीन मिनट पहले ही चाँदकोष देख लेना चाहिए, ठीक है? :)
Shruti Thar
डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म अब रियल‑टाइम चाँद डेटा प्रदान करते हैं, जिससे उपवास समाप्ति के लिए सटीक तैयारी संभव हो रही है।
Nath FORGEAU
यार फटाका 8:17pm पे है बस, जल्दी से सवर्ण खा लो ना।
harshit malhotra
करवा चौथ को लेकर हर साल उत्साह की लहर दौड़ जाती है, विशेषकर उत्तर प्रदेश के बड़े शहरी क्षेत्रों में जहाँ इस त्योहार की अनूठी परम्पराएँ देखी जा सकती हैं। लखनऊ में इस वर्ष का पंचांग 10 अक्टूबर, शुक्रवार को निर्धारित किया गया है, और विशेष समय-सारिणी ने महिलाओं को स्पष्ट दिशा दी है कि कब अपने सवर्ण का सेवन करना है और कब फटाका करना है। सुबह-सुबह सूरज की पहली किरण के साथ सवर्ण का सेवन करना आवश्यक है, क्योंकि यह ऊर्जा का स्रोत बनता है और उपवास के दौरान थकान को कम करता है। उपवास का प्रारम्भ 06:19 एएम से होता है, और यह समय हर साल थोड़ा बदलता रहता है, लेकिन इस बार यह समय ठीक-ठीक वही है। चाँद के उगने का समय, जो फटाके के नियोजन का मुख्य बिंदु है, लखनऊ में लगभग 08:17 PM अनुमानित किया गया है, जो कि पूर्वी शहरों जैसे दिल्ली और नोएडा के समय से थोड़ी देर है। यह अंतर छोटे‑छोटे अक्षांश‑देशांतर के कारण होता है, और इससे स्थानीय रीति‑रिवाज़ों में थोड़ा बदलाव आता है। कई घरों में अब डिजिटल उपकरणों के माध्यम से रीयल‑टाइम अपडेट प्राप्त होते हैं, जिससे महिलाएँ तुरंत पता लगा लेती हैं कि कब फटाका करना है। इस डिजिटल परिवर्तन ने पारंपरिक तरीकों को न केवल पूर्णतः प्रतिस्थापित किया है, बल्कि उन्हें एक नई, सुविधाजनक आयाम भी प्रदान किया है। हालांकि, कुछ बुजुर्ग महिलाएँ अभी भी पुरानी विधियों-जैसे टीवी चैनलों और स्थानीय अखबारों-पर भरोसा करती हैं, क्योंकि उन्हें इन तकनीकों से जुड़ी जटिलताओं का डर रहता है। इस वर्ष लखनऊ में कई ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म ने सवर्ण की तेज़ डिलीवरी की सुविधा प्रदान की है, जिससे आखिरी मिनट में भी आपूर्ति की कमी नहीं होगी। साथ ही, कई स्थानीय रिटेलर्स ने पहले से ही सवर्ण बक्से तैयार कर रखे हैं, जिससे हर घर तक समय पर सामग्री पहुँच सके। इस परम्परा की सामाजिक महत्ता को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता; यह न केवल दाम्पत्य बंधन को मजबूत करता है, बल्कि परिवार के सभी सदस्यوں में आपसी सहयोग की भावना को भी जागृत करता है। कुछ लोग इसे केवल एक सांस्कृतिक उत्सव मानते हैं, परंतु असल में यह सामाजिक एकता का प्रतीक है, जो विविध सामाजिक वर्गों को एक मंच पर लाता है। इस वर्ष की सूचना प्रौद्योगिकी की प्रगति ने यह सुनिश्चित किया है कि महिलाएँ अब फटाके के लिए देर से नहीं पहुँचें, बल्कि सटीक समय पर ही अपने वचनों को पूरा कर सकें। अंत में, यह कहा जा सकता है कि लखनऊ में करवा चौथ का समय‑सारिणी न केवल एक कैलेंडर तिथि है, बल्कि एक जीवनशैली के रूप में विकसित हुआ है, जो तकनीकी और पारंपरिक दोनों ही पहलुओं को सम्मिलित करता है।
Ankit Intodia
जब हम समय की धारा में दंपत्ति की प्रतीक्षा को देखते हैं, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि आध्यात्मिक सार और वैज्ञानिक मापदंड दोनों ही इस अनुष्ठान को सार्थक बनाते हैं; इसलिए डिजिटल टाइमिंग को अपनाते हुए भी हमें भावनात्मक जुड़ाव को न भूलना चाहिए।
Madhav Kumthekar
अगर आप अभी भी सवर्ण की तैयारी में हैं, तो स्थानीय किराना स्टोर्स से काजू, नारियल पानी और भुना चना आसानी से मिल जाता है; साथ ही ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर नज़र रखें, जहाँ तेज़ डिलीवरी विकल्प उपलब्ध होते हैं।
akshay sharma
वास्तव में, यह देखना अचंभित करता है कि कुछ लोग अभी भी पारम्परिक बाजार पर निर्भर रहते हैं, जबकि तकनीकी समाधान न केवल सुविधाजनक बल्कि पर्यावरणीय रूप से भी अनुकूल हैं; इस दुविधा को दूर करने के लिए हमें डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए।
Anand mishra
करवा चौथ का वैरिडिटी केवल धार्मिक पहलू तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक संरचनाओं के भीतर महिलाओं की भूमिका को पुनःपरिभाषित करता है, जिससे वे अपने जीवन में एक सक्रिय स्थान हासिल करती हैं। लखनऊ जैसे शहरी क्षेत्रों में इस उत्सव का उत्सवधर्मन अधिक व्यवस्थित हो गया है, जहाँ समय‑सारिणी को डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म द्वारा सहजता से साझा किया जाता है। इस उन्नत तकनीकी सहयोग से महिलाएँ न केवल समय पर सवर्ण ग्रहण करती हैं, बल्कि अपने परिवार के साथ सामाजिक संवाद भी मजबूत करती हैं। इस प्रक्रिया में स्थानीय विक्रेता, ई‑कॉमर्स और पारिवारिक सदस्य सभी मिलकर एक सहयोगी नेटवर्क बनाते हैं, जो इस त्यौहार को सफल बनाता है। इसके अतिरिक्त, कई शैक्षिक संस्थान इस अवसर का प्रयोग महिला सशक्तिकरण के व्याख्यान आयोजित करने में करते हैं, जिससे युवा पीढ़ी को इस परम्परा के सांस्कृतिक महत्व की समझ आती है। कुल मिलाकर, करवा चौथ ने आधुनिक भारत में नारी सशक्तिकरण और पारिवारिक एकजुटता दोनों को बढ़ावा दिया है, और यह उद्गम लखनऊ के नागरिकों में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है।
Prakhar Ojha
सच में, जब हम इस पारम्परिक उत्सव को देखते हैं तो यह स्पष्ट हो जाता है कि सामाजिक बंधनों को मजबूत करने के साथ-साथ व्यक्तिगत आत्मविश्वास भी बढ़ता है; इसलिए हर महिला को इस मौके पर आत्म-परिचर्या करने का अवसर मिलता है।
Pawan Suryawanshi
👍 पूरी तरह से सहमत! इस तरह के उत्सव न सिर्फ पारिवारिक जुड़ाव को बढ़ाते हैं, बल्कि सामाजिक नेटवर्क को भी विस्तारित करते हैं, जिससे हर घर में खुशी की बहार आती है।
Harshada Warrier
लगता है इस सब के पीछे बड़े डेटा कंपनियों का हाथ है, जो हमारी रीति‑रिवाज़ों को ट्रैक कर विज्ञापन बेचते हैं, इसलिए हम हमेशा सतर्क रहें।
Sreenivas P Kamath
अरे वाह, अब तो मोबाइल पर टाइमिंग देख कर फटाका फोड़ेंगे, जैसे हम सबको गुप्त एजेंडा से बचाया जाए।
Chandan kumar
फटाका के टाइम का हिसाब रखनै में ज्यादा मेहनत नहीं चाहिए, बस डिस्प्ले देख लो।