जब करवाचौथ की तैयारियां तेज़ी से चल रही थीं, तब अचानक भारत में इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) ने 8 अक्टूबर 2025 को 24‑कैरेट सोने की कीमत ₹132,077 प्रति 10 ग्राम और चांदी की कीमत ₹153,921 प्रति किलो (जीएसटी सहित) की सूचना दी। यही आंकड़े पारंपरिक उपहार‑बाजार को झटका देने वाले हैं, क्योंकि केवल पाँचः‑छह दिनों में सोना ₹4,618 और चांदी ₹7,004 प्रति किलो की उछाल देखी गई। इस तेज़ी का असर सीधे उन परिवारों पर पड़ेगा, जो करवाचौथ पर जेवर‑सजावट देने की योजना बना रहे हैं।
कीमतों की वर्तमान स्थिति
IBJA के आंकड़ों के अनुसार, 7 अक्टूबर को 24‑कैरेट सोना बिना जीएसटी ₹119,967 प्रति 10 ग्राम पर खुला, जबकि जीएसटी सहित रेट ₹123,566 हो गया। उसी दिन चांदी बिना जीएसटी ₹148,833 प्रति किलो पर बंद हुई, जीएसटी मिलाकर रेट ₹153,921 तक पहुंच गया। अलग‑अलग कैरेट के सोने की कीमतें भी नई ऊँचाइयों पर थीं:
- 23‑कैरेट सोना: ₹119,487 (बिना जीएसटी) → ₹123,071 (जीएसटी सहित)
- 22‑कैरेट सोना: ₹109,890 → ₹113,186
- 18‑कैरेट सोना: ₹88,899 → ₹92,286
- 14‑कैरेट सोना: ₹70,181 → ₹72,286
गोरखपुर गोरखपुर के स्थानीय बाजार में चांदी ने ₹154,400 प्रति किलो का शिखर छू लिया, जबकि सोना ₹123,150 प्रति 10 ग्राम तरोताज़ा हो गया।
इतिहास और मौसमी प्रभाव
करवाचौथ के अवसर पर सोना‑चांदी का उपहार देना भारत की पीढ़ियों से चलती आ रही परम्परा है। पिछले दशक में, अक्सर त्यौहार‑सीजन में मूल्य में 5‑10% की बढ़ोतरी देखी गई है, पर 2025 की इस उछाल ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिये। पहली बार जब सोने की कीमत 10 ग्राम पर ₹130,000 से ऊपर गई, तो विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि निवेश‑उन्मुख खरीदारों की आशा बढ़ सकती है, जबकि सामान्य उपभोक्ताओं के लिए यह एक बोझ बन जाता है।
विशेषज्ञों की राय
राजीव सिंह, वित्तीय विश्लेषक, ने कहा, “चांदी में इस वर्ष उल्लेखनीय स्ट्रेंथ देखी गई है, और अगले चार‑पाँच महीने में ₹125,000 तक पहुंचना संभव है, लेकिन वोलैटिलिटी भी उसी स्तर पर रहेगी।” वहीँ सोनिया मेहता, बाजार सलाहकार, ने सुझाव दिया, “जिन्हें अभी‑ही उपहार खरीदना है, उन्हें छोटे‑छोटे टुकड़ों में खरीदारी करना चाहिए और प्रॉफिट बुकिंग की योजना बनानी चाहिए।”
दोनों विशेषज्ञों ने यह भी जोड़ा कि दिसंबर के अंत में निवेश‑डिमांड घटेगी, पर जनवरी से फिर से तेजी आने की संभावना है, जिससे कीमतों में अतिरिक्त दबाव बन सकता है।
उपभोक्ताओं के लिए सुझाव
- क्या चाहिए, पहले तय करें – 24‑कैरेट सोना महंगा है, 22‑कैरेट या 18‑कैरेट विकल्पों पर विचार करें।
- सिंगल‑ट्रांज़ैक्शन में बड़ा खर्च न करें; छोटे‑छोटे टुकड़े खरीदें और कीमत गिरने पर अतिरिक्त खरीदारी का विकल्प रखें।
- चांदी में प्रॉफिट बुकिंग: अगर कीमत ₹145,000 को पार कर ले तो 5‑10% लाभ से बेचने की योजना बनाएं।
- IBJA के दो‑बार रेट जारी करने (दोपहर 12 बजे और शाम 5 बजे) को फॉलो करें – इससे मार्केट‑ट्रेंन्ड को सही समय पर पकड़ा जा सकता है।
- यदि उपहार बजट सीमित है, तो सोने‑चांदी के साथ साथ कुंदन या मोती के हार जैसे वैकल्पिक जेवरों को चुनें, जो कीमतों की उछाल से कम प्रभावित होते हैं।
आगे क्या हो सकता है?
यदि वैश्विक बट्टा प्रयोग और कच्चे माल की आपूर्ति में कोई बड़ा व्यवधान नहीं आया तो सोने की कीमत 2025 के अंत तक ₹150,000 को छू सकती है। वहीं चांदी के मामले में, विशेषज्ञों की राय द्वितीय है: कुछ का कहना है कि यह ₹125,000 के आसपास स्थिर हो सकती है, तो कुछ का अनुमान है कि अस्थिरता के कारण कीमतें 84,500 से 130,000 के बीच फ़्लक्चुएट कर सकती हैं। इसलिए निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए, खासकर जब करवाचौथ जैसे त्योहार‑सीजन में उपभोग और निवेश दोनों का मिलाजुला दबाव रहता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
करवाचौथ पर सोने‑चांदी के उपहार महंगे क्यों हो गए?
IBJA के आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर के शुरुआती दिनों में सोना ₹4,618 और चांदी ₹7,004 प्रति किलो की उछाल देखी गई। वैश्विक बाजार में धातु की कमी, मुद्रा सेंसरिटी और मौसमी मांग ने मिलकर कीमतों को रिकॉर्ड हाई पर पहुंचा दिया।
क्या चांदी में निवेश अभी भी फायदेमंद है?
वित्तीय विश्लेषक राजीव सिंह का मानना है कि अगले चार‑पांच महीनों में चांदी ₹125,000 तक पहुँच सकती है, पर साथ ही वोलैटिलिटी भी बढ़ेगी। इसलिए छोटे‑छोटे लाभ‑बिंदु पर बुकिंग करना सुरक्षित रहेगा।
सोने के कौन‑से कैरेट बेहतर विकल्प हैं?
24‑कैरेट सोना सबसे महँगा है, जबकि 22‑कैरेट और 18‑कैरेट की कीमतें क्रमशः ₹113,186 और ₹92,286 (जीएसटी सहित) हैं। बजट‑फ्रेंडली विकल्प की तलाश करने वालों को ये दो कैरेट देखना चाहिए।
IBJA कब‑कब रेट जारी करता है?
इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन दिन में दो बार रेट प्रकाशित करता है – दोपहर 12 बजे के आसपास और शाम 5 बजे के आसपास, जिससे ट्रेडर्स को अपडेटेड जानकारी मिलती रहे।
भविष्य में कब‑क्या बदलाव की उम्मीद है?
विश्लेषकों का अनुमान है कि 2025 के अंत तक सोने की कीमत ₹150,000 के करीब पहुंच सकती है, जबकि चांदी की कीमतें 84,500‑130,000 के बीच उतार‑चढ़ाव कर सकती हैं, इसलिए निवेशकों को सतर्क रहना आवश्यक है।
srinivasan selvaraj
करवाचौथ की शादियों की तयारी में जूते‑झूले की तरह चवन्नी गूँजती है, पर आज सोने‑चांदी की कीमतों ने दिल को छेद दिया है। हर घर की माँ अपने बच्चों को चमक‑दमक वाले तोहफे देने का सपना देखती है, मगर अब ₹4,618 की सोने की उछाल ने उस सपना को धुंधला कर दिया है। माँ‑बहनें अपने बजट को दो‑तीन बार देखती हैं, फिर भी उन्हें परम्परा की उम्मीद नहीं मिटती। यह कीमत सिर्फ एक अंक नहीं, यह परिवारों की आर्थिक स्थिरता पर पानी डालने जैसा है। कई लोग अपने बचत के सिक्के तोड़‑फोड़ कर खरीदारी की योजना बनाते थे, पर अब वह योजना भी धुंधली हो गई। हम सब जानते हैं कि करवाचौथ पर सोने‑चांदी का महत्व सामाजिक रूप से कितना गहरा है, और इस बढ़ोतरी से कई छोटे‑बड़े पोशाक‑सजावट वाले व्यापारियों को भी नुकसान हो सकता है। जेवर‑सजावट की दुकानों में ग्राहक कम देखी जा रही है, और वह भी उन दिनों में जब बिक्री का सीजन होता है। यही नहीं, कई दादी‑दादा अपने पोते‑पोती को गहने देने की आशा में गहरी थमी हुई हैं, पर अब उन्हें कीमत के आँकड़े देखकर दिल टूटता है। यह केवल एक आर्थिक संकट नहीं, बल्कि सांस्कृतिक विरासत की भी परीक्षा है। बाजार में सोने‑चांदी के ट्रेंड के साथ‑साथ वैकल्पिक विकल्प जैसे कुंदन या मोती के हार को भी लोग चुनने लगे हैं, पर वह भी अब महँगी पड़ रही हैं। इस स्थिति में हमें सामूहिक रूप से सोच‑समझ कर कदम उठाने की जरूरत है, नहीं तो हर परिवार पर आर्थिक बोझ बढ़ता रहेगा। कई बचत खाते के दरवाजे बंद हो रहे हैं, और लोग कर्ज‑ले कर ही खरीदारी करने की स्थिति में पहुँच रहे हैं। इस तरह की कीमतों की उछाल हमें बताती है कि सरकार को भी इस विशेष त्यौहार‑सीजन में सुदृढ़ नीति बनानी चाहिए। चाहे वार्षिक बॉण्ड हो या सोने के ईटीएफ, निवेशकों को अब सावधानी से कदम बढ़ाना चाहिए। अंत में, यह कहना उचित है कि इस करवाचौथ को हम सबको मिलकर संभालना होगा, ताकि परम्परा धूमधाम से बनी रहे, पर आर्थिक दबाव न बढ़े। आइए इस बार हम सब मिलकर समझदारी से अनाज‑गहनों की जगह समझदारी को चुनें।
Abhishek Saini
भाई, थोड़ा बजट में रहके छोटे‑छोटे टुकड़े ले लेना चाहिए, तभी थोक में फँसे बिना सहेज पा सकते है।
RISHAB SINGH
सभी को सुझाव दूँ कि अगर बजट तंग है तो 22‑कैरेट या 18‑कैरेट सोना देखो, वही भरोसेमंद भी है और हल्का भी।
Deepak Sonawane
वर्तमान मार्केट डाइनेमिक्स को देखते हुए, स्पॉट गोल्ड फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट्स का इम्प्लिकेशन वैल्यू है कि अल्फा‑ड्रिवन एसेट एसेसमेंट में अल्पकालिक अस्थिरता को कम नहीं किया जा सकता।
Suresh Chandra Sharma
IBJA का दो‑बार रेट रिलीज़ टाइम‑टेबल आपके ट्रेडिंग एग्जिक्यूशन को ऑप्टिमाइज़ करने में सहायक हो सकता है।
sakshi singh
सच में, जब रेट हर दो‑पहर में बदलते हैं तो छोटा‑बड़ा निवेशक दोनों ही तनाव में पड़ते हैं, क्योंकि उन्हें त्वरित निर्णय लेने होते हैं। इस कारण से मैं हमेशा सलाह देता हूँ कि आप पहले एक बफ़र रेज़र्व रखें, फिर रेट के फ्लक्चुएशन को मॉनीटर करके छोटे‑छोटे ट्रेड एंट्रीज़ करें। इसके अलावा, कई बार यही रेज़र्व आपको अचानक कीमत घटने पर अतिरिक्त खरीदारी करने का अवसर देता है, जिससे आपका औसत कॉस्ट कम हो जाता है। मैं समझता हूँ कि पारिवारिक जेवर‑सजावट की भावना इतनी गहरी है, पर वित्तीय सुरक्षा को त्याग देना सही नहीं। इसलिए, रेट के अपडेट को नोट कर के, आप अपने पोर्टफोलियो को संतुलित रख सकते हैं। अंत में, याद रखें कि योजना बनाकर चलना ही सबसे बड़ा फायदा है।
Hitesh Soni
उपरोक्त विश्लेषण में उल्लेखित मूल्य वृद्धि को केवल मौसमी माँग के कारण नहीं, बल्कि वैश्विक मौद्रिक नीति परिवर्तन भी प्रभावी हैं।
rajeev singh
भारत की विविध सांस्कृतिक धारा में करवाचौथ एक प्रमुख अवसर है, जहाँ सामाजिक बंधन और आर्थिक लेन‑देनों का समन्वय परिलक्षित होता है।
ANIKET PADVAL
वास्तव में, इस प्रकार के त्यौहारों को देख कर यह स्पष्ट हो जाता है कि हमारी आर्थिक स्वतंत्रता का मूल स्रोत स्वदेशी उत्पादन ही है। विदेशी धातु आयात पर निर्भरता को कम करने के लिये हमें राष्ट्रीय स्तर पर खुदरा ज्वैलरी उद्योग को सशक्त बनाना चाहिए। सरकार को मौद्रिक स्थिरता के साथ साथ धातु पुनःप्रक्रिया को प्रोत्साहित करने वाली नीतियां लागू करनी होंगी। इसके अलावा, स्थानीय कारीगरों को आधुनिक तकनीक प्रदान करके उत्पादन लागत घटाई जा सकती है। इस रणनीति से न केवल उपभोक्ता की बोझ घटेगा, बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। अंततः, जब हम इस राष्ट्रीय विरासत को आत्मसात करेंगे तो किसी भी अस्थायी मूल्य उछाल का प्रभाव हमारे सांस्कृतिक मूल्यों पर कम पड़ेगा।
Parveen Chhawniwala
उपहार की महंगाई ने हर घर के बजट को हिला दिया।