LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया का ₹11,607 करोड़ IPO खुला: 7‑10 अक्टूबर, 2025, 1,080‑1,140 रुपये बैंड, 14 अक्टूबर सूचीबद्ध

/ द्वारा parnika goswami / 12 टिप्पणी(s)
LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया का ₹11,607 करोड़ IPO खुला: 7‑10 अक्टूबर, 2025, 1,080‑1,140 रुपये बैंड, 14 अक्टूबर सूचीबद्ध

जब LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया लिमिटेड ने 7 अक्टूबर 2025 को अपना IPO लॉन्च किया, बाजार में तुरंत हलचल मच गई। तीन दिन के का‍ब‑के‑बंद सिडीशन विंडो (7‑9 अक्टूबर) में शेयरों की कीमत 1,080 से 1,140 रुपये के बैंड में तय हुई, जबकि न्यूनतम लॉट साइज 13 शेयर रहा, यानी खुदरा निवेशकों को कम से कम 14,820 रुपये का निवेश करना पड़ेगा। यह 100 % Offer for Sale (OFS) था, जिसका मतलब है कि कोई नई पूँजी नहीं उगाही गई – सभी पैसे दक्षिण कोरियाई प्रोमोटर को ही पहुंचेगा।

पृष्ठभूमि और पिछले कदम

यह आईपीओ LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंक., जो सियोल‑आधारित तकनीकी दिग्गज है, की भारत में अपने होल्डिंग को विक्रय करके वित्तीय रणनीति को पूरा करता है। कंपनी ने अपना ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रोस्पेक्टस (DRHP) 9 दिसंबर 2024 को SEBI के पास दाखिल किया और 13 मार्च 2025 को मंजूरी मिलते ही इस प्रक्रिया को तेज़ किया। इस चरण में, बंबई स्टॉक एक्‍सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) को सूचनाएँ भेजी गईं, जिससे सूची‑बद्धता का काम सुगम हो सके।

विवरण तथा टर्म्स

IPO का कुल इश्यू साईज़ ₹11,607 करोड़ था, जो 2025 का तीसरा सबसे बड़ा सार्वजनिक इश्यू बना, टाटा कैपिटल और HTB Financial के बाद। मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:

  • प्राइस बैंड: ₹1,080‑₹1,140 प्रति शेयर (फेस वैल्यू ₹10)
  • न्यूनतम निवेश: ₹14,820 (13 शेयर × ₹1,140)
  • रिटेल क्वोटा: कम से कम 35 % शेयर
  • नॉन‑इंस्टीट्यूशनल क्वोटा: कम से कम 15 %
  • क्वालिफ़ाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB): अधिकतम 50 %

शेयर अलोकेशन की अंतिम तारीख 10 अक्टूबर 2025 है, जबकि ट्रेडिंग 14 अक्टूबर को दोनों एक्सचेंजों पर शुरू होगी। Kfin Technologies Limited इस सार्वजनिक इश्यू का रजिस्ट्रीयर है, और Morgan Stanley India Company Private Limited प्रमुख बुक‑रनिंग लीड‑मैनेजर की भूमिका निभा रहा है।

कंपनी की पोज़िशन और बाजार में सतह

लगभग तीन दशकों से LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया भारतीय घरों में एसी, फ्रिज, वाशिंग मशीन और स्मार्ट टीवी जैसे उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स के माध्यम से एक भरोसेमंद ब्रांड के रूप में स्थापित है। कंपनी की उत्पादन, सेवा और इनोवेशन नेटवर्क पूरे देश में फैली हुई है, विशेष रूप से ऊर्जा‑दक्षता और फ़ीचर‑रिच डिज़ाइन पर ज़ोर देती है। हालांकि इस IPO से भारतीय सब्सिडियरी को कोई अतिरिक्त फंड नहीं मिलेगा, लेकिन यह कोरियाई प्रबंधन को अपनी ग्लोबल पोर्टफोलियो में पुनर्संतुलन करने की अनुमति देता है।

प्रतिक्रिया और विशेषज्ञों की राय

बजट एलोकेशन के बारे में, मनीमार्केट एनालिस्ट सिद्धार्थ रज्यमंडल ने कहा, “रिटेल को 35 % कॉटा मिलना इस IPO को आकर्षक बनाता है, खासकर उन निवेशकों के लिए जो तकनीकी‐उपभोक्ता सेक्टर में दीर्घकालिक रिटर्न चाहते हैं।” वहीं, Morgan Stanley India के एक प्रतिनिधि ने कहा, “बुकील्ड प्राइस बैंड ने उचित मूल्य निर्धारण किया है, जिससे डिमांड‑साइड की आशावादिता बनी रहेगी।” कुछ क्वालिफ़ाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स ने पहले से ही 55 % तक के बिडेड शेयर घोषित कर दिए हैं, जिससे मार्केट की स्थिरता का संकेत मिलता है।

भविष्य की दिशा और संभावित असर

भविष्य की दिशा और संभावित असर

यदि इस IPO की ब्रोकिंग सफल रहती है, तो भारत में विदेशी टेक समूहों की विक्रय‑उपक्रमों को एक नया प्रीसेट मिलेगा। निर्माताओं का यह कदम पूँजी‑आधारित विस्तार नहीं बल्कि एसेट‑साइड डिवेस्टमेंट को दर्शाता है, जो संभावित रूप से अन्य कोरियाई या जापानी कंपनियों को भी समान रणनीति अपनाने के लिए प्रेरित कर सकता है। साथ ही, रिटेल निवेशकों के लिए यह एक बड़ी मौक़ा होगा, क्योंकि इस प्राइस बैंड पर इंडेक्स‑फोकस्ड फंड्स भी संभावित एंट्री देख रहे हैं।

आगामी कदम और समय‑सीमा

IPO के बाद 10 अक्टूबर को शेयर अलोकेशन प्रकाशित होगा, फिर 14 अक्टूबर को BSE और NSE पर ट्रेडिंग शुरू होगी। एंकर निवेशकों पर 50 % शेयरों पर 9 नवंबर 2025 तक लॉक‑इन रहेगा, जिससे शुरुआती ट्रेडिंग में वॉल्यूम‑साइड का संतुलन बना रहेगा। कंपनी ने कर्मचारियों को ₹108 की डिस्काउंट ऑफर की है, जो कर्मचारियों के हितों को भी जोड़ता है। सभी इन गतिविधियों को देखते हुए, निवेशकों को अगले कुछ हफ्तों में मार्केट फ्लक्चुएशन और क्वालीफिकेशन स्टेटस पर नज़र रखनी चाहिए।

मुख्य तथ्य

  • इश्यू साइज: ₹11,607 crore
  • प्राइस बैंड: ₹1,080‑₹1,140
  • सबसक्रिप्शन विंडो: 7‑9 अक्टूबर 2025
  • निर्धारित लिस्टिंग: 14 अक्टूबर 2025 (BSE & NSE)
  • OFS: 100 %, नई पूँजी नहीं

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

रिटेल निवेशकों को इस IPO से क्या लाभ मिल सकता है?

रिटेल को कुल इश्यू का कम से कम 35 % हिस्सा मिल रहा है, जिससे उनके पास उच्च तरलता और संभावित मूल्य वृद्धि का मौका है। साथ ही, कर्मचारी डिस्काउंट ₹108/शेयर उन्हें अतिरिक्त लाभ देता है।

क्या इस IPO से LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया के व्यवसाय में कोई बदलाव आएगा?

सिर्फ़ शेयरों की बिक्री से कंपनी को कोई नई फंडिंग नहीं मिल रही, इसलिए तत्काल संचालन या विस्तार पर असर नहीं पड़ेगा। यह मुख्यतः कोरियाई प्रबंधन की डिवेस्टमेंट रणनीति का हिस्सा है।

शेयर अलोकेशन की अंतिम तिथि कब है और परिणाम कब देखेंगे?

अलोकेशन 10 अक्टूबर 2025 को घोषित होगा। सफल आवेदकों को उसी दिन अलोकेशन की पुष्टि मिल जाएगी, और शेयर 14 अक्टूबर को ट्रेडिंग शुरू करेंगे।

एंकर निवेशकों पर लॉक‑इन कितनी देर तक रहेगा?

एंकर निवेशकों के 50 % शेयर 9 नवंबर 2025 तक लॉक‑इन रहेंगे, जिससे शुरुआती ट्रेडिंग में कीमत स्थिर रहने की संभावना है।

यह IPO भारत में विदेशी कंपनियों के लिए क्या संदेश ले कर आता है?

यह दर्शाता है कि विदेशी समूह भारत में मूल्यांकन को लेकर सक्रिय हैं और अपने होल्डिंग्स को पुनर्संतुलित करके वॉल्यूम और निर्यात‑निवेश दोनों का संतुलन बनाना चाहते हैं। सफल IPO से अन्य समूहों को भी समान कदम उठाने का प्रोत्साहन मिल सकता है।

टिप्पणि

  • Deepak Sonawane
    Deepak Sonawane

    LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया का IPO संरचनात्मक रूप से एक क्लासिक 100% OFS मॉडल प्रस्तुत करता है, जो पूँजी सृजन के बजाय एसेट-साइड डिवेस्टमेंट की रणनीतिक पॉलिसी को रिफ्लेक्ट करता है।
    सिडीशन विंडो के दौरान बैंड प्राइस करीब‑करीब मार्केट‑ट्रेंड्स के साथ कॉन्फॉर्म करता है, जिससे प्राइस डिस्कवरी मैकेनिज्म का बेंचमार्क सेट होता है।
    रिटेल को 35% क्वोटा आवंटित किया गया है, जो इश्यू साइज के परिप्रेक्ष्य में मध्यम‑टू‑हाई रिस्क प्रोफ़ाइल को इंगित करता है।
    नॉन‑इंस्टीट्यूशनल क्वोटा का न्यूनतम 15% निर्धारित होना इंस्टिट्यूशनल एंगेजमेंट को सीमित करने का एक टैक्टिकल कदम है।
    फेस वैल्यू ₹10 पर स्टॉक का प्राइस बैंड ₹1,080‑₹1,140 वॉल्यूम‑ड्रिवन लिक्विडिटी को न्यूनतम लेवल पर बनाए रखता है।
    क्वालिफ़ाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) को अधिकतम 50% अलोकेशन की अनुमति दी गई है, जो संभावित एसेट‑रीहैबिलिटेशन को सिमुलेट कर सकता है।
    डॉक्युमेंटेड डिमांड‑साइड साइड की एंट्री बिड रेटिंग का विश्लेषण करते हुए, मैक्रो‑इकॉनॉमिक वैरिएबल्स पर प्रभाव अपेक्षित है।
    ट्रेडिंग 14 अक्टूबर को शुरू होने पर, एंकर इन्भेस्टर्स का 50% शेयर 9 नवंबर तक लॉक‑इन रहेगा, यह लॉक‑इन पिरामिडेड शेयरहोल्डिंग को स्थिरता प्रदान करेगा।
    इस IPO का पूरी तरह से ऑफ‑साइट कॅपिटल इनफ्लो नहीं होगा, इसलिए कंपनी की ऑपरेशनल कैश‑फ़्लो पर तत्काल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
    मॉर्गन स्टैनली के बुक‑रनिंग लीड‑मैनेजमेंट की भूमिका को देखते हुए, बाइड‑प्राइस एग्रीमेंट में प्राइस डिस्कवरी की इंटेलिजेंस फॉर्मुलेशन स्पष्ट है।
    कॅपिटल मार्केट के एग्जीक्यूटिव्स ने इस इश्यू को हेजिंग स्ट्रैटेजी के संभावित इम्प्लीमेंटेशन के रूप में भी देखा है।
    फ़ायनेंशियल इंटेलिजेंस मॉडल्स के अनुसार, प्राइस बैंड की ऊपरी सीमा पर एंट्री करने वाले निवेशकों को अल्पकालिक रेज़िस्टेंस का सामना करना पड़ सकता है।
    फिर भी, क्वालिफ़ाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स के हाई बिड प्रतिशत को देखते हुए, इश्यू का सस्पेंडेड सॉल्वेंसी प्रोफ़ाइल लाभकारी हो सकता है।
    सेकंडरी मार्केट में संभावित ट्रेडिंग वॉल्यूम को सिमुलेट करने हेतु, एल्गोरिदमिक ट्रेडर्स को इस इश्यू में एंट्री पॉइंट्स की रेंज पर फोकस करना चाहिए।
    संपूर्ण विश्लेषण के बाद, इस IPO की रिटर्न प्रोफ़ाइल को हाई‑यील्ड, लिक्विडिटी‑ड्रिवन एसेट क्लास के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
    निवेशकों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि 100% OFS मॉडल में कोई ऐडिशनल इक्विटी इश्यू नहीं होगा, इसलिए डिवेस्टमेंट प्रॉफिट केवल सेकेंडरी मार्केट में ही वॉल्यूम पर निर्भर करेगा।

  • sakshi singh
    sakshi singh

    इस IPO के माध्यम से भारतीय रिटेल निवेशकों को एक स्वागतयोग्य अवसर प्राप्त होता है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो टेक्नोलॉजी‑सेक्टर में दीर्घकालिक मूल्य वृद्धि की तलाश में हैं।
    पहले से निर्धारित 35% रिटेल क्वोटा यह सुनिश्चित करता है कि पर्याप्त तरलता बनी रहे और बाज़ार में प्रवेश करने की बाधा न्यूनतम हो।
    कर्मचारी डिस्काउंट ₹108 प्रति शेयर की पेशकश से कर्मियों को अतिरिक्त लाभ मिलता है, जो मनोबल और कंपनी‑प्रति निष्ठा को बढ़ावा देता है।
    इस पहल के साथ, LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया की मौजूदा बाजार‑स्थिति को स्थिर करने और उपभोक्ता‑विश्वास को पुनः स्थापित करने में मदद मिल सकती है।
    हम निवेशकों को सलाह देते हैं कि वे अपने पोर्टफोलियो में इस इश्यू को एक संतुलित वेटेड एसेट के रूप में जोड़ें, ताकि जोखिम‑प्रबंधन के सिद्धांतों के अनुरूप हो सके।
    बाजार की अस्थिरता को देखते हुए, एंकर निवेशकों की 50% शेयरों पर लॉक‑इन नीति शुरुआती ट्रेडिंग के दौरान कीमतों को स्थिर रखने में सहायक होगी।
    जिन निवेशकों के पास दीर्घकालिक दृष्टिकोण है, उनके लिए यह IPO एक संभावित कॉम्पाउंडिंग रिटर्न के रूप में कार्य कर सकता है।
    हमें उम्मीद है कि इस इश्यू की सफल आवंटन के बाद, अन्य विदेशी कंपनियां भी भारत में समान डिवेस्टमेंट मॉडल अपनाने पर विचार करेंगी, जिससे बाजार‑गहनता में वृद्धि होगी।

  • Hitesh Soni
    Hitesh Soni

    प्रस्तावित इश्यू की शर्तें स्पष्ट रूप से नियामक दिशा-निर्देशों के अनुपालन में रूपांकित हैं, तथा मूल्य बैंड को देखते हुए, मूल्य निर्धारण तर्कसंगत प्रतीत होता है।
    रिटेल को आवंटित कोटा तथा न्यूनतम निवेश सीमा को देखते हुए, आर्थिक अभिकर्ताओं के लिये प्रवेश बाधा में उचित संतुलन स्थापित किया गया है।
    संस्थागत भागीदारी का अपेक्षित प्रतिशत दर्शाता है कि बाजार‑संकल्पना में पर्याप्त तरलता मौजूद है।
    एंकर निवेशकों के लिए लॉक‑इन अवधि के नियमों को लागू करने से शुरुआती मूल्य उतार‑चढ़ाव को कम किया जाएगा।
    संपूर्ण रूप से, इस इश्यू की संरचना साधारण वैधता और निवेशक‑सुरक्षा के मानकों के साथ सुसंगत है।

  • rajeev singh
    rajeev singh

    LG इलेक्ट्रॉनिक्स की भारत‑में स्थापित ब्रांडिंग और उत्पाद‑परिवेश को देखते हुए, इस IPO का ऐतिहासिक महत्व स्पष्ट है।
    उपभोक्ता‑इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार में कंपनी की पैठ और सेवा‑जाल का व्यापक होना, इस प्रस्तावित इश्यू के निवेश आकर्षण को बढ़ाता है।
    विदेशी निवेशकों के लिये यह एक अवसर प्रस्तुत करता है कि वे भारत के तेज़ी से बढ़ते उपभोक्ता‑सेगमेंट में भागीदार बन सकें।
    भविष्य की विस्तार योजनाओं के तहत, इस एसेट‑साइड डिवेस्टमेंट का उपयोग पुनर्निर्देशन के लिए किया जा सकता है, जो दीर्घकालिक विकास के लिये सकारात्मक संकेत है।

  • ANIKET PADVAL
    ANIKET PADVAL

    इस इश्यू के माध्यम से विदेशी पूँजी का भारत के बाजार‑परिदृश्य में पुनः वितरण होना, राष्ट्रीय आर्थिक स्वायत्तता के प्रति हमारे सिद्धान्तों के अनुरूप नहीं है।
    जबकि रिटेल को 35% कोटा आवंटित किया गया है, यह प्रतिशत वास्तव में हमारे छोटे‑विदेशी निवेशकों के हितों को पर्याप्त रूप से संरक्षित नहीं करता।
    इसी तरह, 100% OFS मॉडल का उपयोग करके कोरियाई मूलधन को बाहर निकालना, हमारी राष्ट्रीय उत्पादन शक्ति को कमजोर करने की संभावनाओं को उजागर करता है।
    हमें यह विचार करना चाहिए कि इस तरह के बड़े पैमाने के डिवेस्टमेंट से हमारे घरेलू उद्योगों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, और क्या यह भविष्य में तकनीकी आत्मनिर्भरता को बाधित करेगा।
    साथ ही, एंकर निवेशकों की लॉक‑इन अवधि को केवल 30 दिनों तक सीमित रखने से बाजार‑स्थिरता के मुद्दे उत्पन्न हो सकते हैं, जो राष्ट्रीय वित्तीय सुरक्षा के लिये असुरक्षित हो सकता है।
    इस प्रकार, निवेशकों को केवल इस इश्यू को एक अवसर के रूप में नहीं, बल्कि राष्ट्रीय आर्थिक रणनीति के एक महत्वपूर्ण बिंदु के रूप में देखना चाहिए।

  • Abhishek Saini
    Abhishek Saini

    भइया, इहां लिखे बातन को देखके लागता कि एंट्री क‍रना एकदम सही बिचार होइ सकत है, पर थोटे थोटे रिटर्न के इंतजाम रखना भी जरूरी है।
    डिस्काउंट वाली चीज़ से तो फायदा होइगी, पर एंकर लोगन के लॉक‑इन देखके थोड़ा फिकर होइ।
    फिर भी, अगर आपनी पोर्टफोलियो में थोड़ै शेयर डालोग, तो लम्बे टाइम में फायदो मिल सके है।
    धीरज रखो, बड़का बड़का मोके आवत रहिन।

  • Parveen Chhawniwala
    Parveen Chhawniwala

    ये IPO तो काफी आकर्षक लग रहा है, लेकिन मैं देख रहा हूँ कि इतनी बड़ी मात्रा में शेयर बेच देना कंपनी के लिए लगातार लाभ नहीं देगा।
    डिवेस्टमेंट की वजह से शायद फोकस कम हो सकता है, इसलिए निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए।
    और रिटेल कोटा 35% बहुत कम नहीं है, पर फिर भी बड़ी संख्या में शेयर संस्थागत खरीदारों के पास जाएंगे।

  • Saraswata Badmali
    Saraswata Badmali

    अपनी बहु-आयामी दृष्टिकोण से कहा जाए तो इस इश्यू के मैक्रो-इकॉनॉमिक इम्पैक्ट को अक्सर अंडरएस्टिमेट किया जाता है, जिसके पीछे गहन संरचनात्मक असंतुलन छिपा हो सकता है।
    पहला बिंदु यह है कि 100% OFS मॉडल में नई पूँजी नहीं उठाई जा रही, इसलिए यह एक सिम्पल एसेट‑साइड डिवेस्टमेंट है, जिसका प्रभाव केवल प्राइस डिस्कवरी पर ही सीमित रहना चाहिए।
    दूसरा, रिटेल क्वोटा का 35% होना दर्शाता है कि सिक्योरिटीज़ मार्केट में निजी निवेशकों को पर्याप्त लिक्विडिटी प्रदान करने का प्रयास किया गया है, पर यह संभावित सर्विसिंग बैंडविड्थ को घटा सकता है।
    तीसरे, एंकर निवेशकों की 50% हिस्सेदारी पर 30‑दिवसीय लॉक‑इन नीति, यदि बाजार में अचानक वैरिएंस उत्पन्न होता है, तो कीमतों में अस्थिरता का जोखिम उत्पन्न हो सकता है।
    इसलिए, हमारे विश्लेषकों को चाहिए कि वे इस इश्यू को गहरे फंडामेंटल एनेलिसिस के आधार पर पुनः मूल्यांकन करें, न कि केवल फॉर्मल डेटा से।
    साथ ही, संभावित प्रतिस्पर्धी कंपनियों की प्रतिक्रिया और उनके पोर्टफोलियो रीयॉकेशन स्ट्रेटेजी को भी मैप किया जाना चाहिए, जिससे इस इश्यू की सही अर्थशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य स्पष्ट हो सके।

  • sangita sharma
    sangita sharma

    मैं इस इश्यू के संबंध में कुछ बिंदु जोड़ना चाहूँगा।
    रिटेल कोटे का 35% होना फायदेमंद है, पर इसके साथ निवेशकों को संभावित मार्केट मेकआउट के लिए तैयार रहना चाहिए।
    कंपनी की विदेशी स्वामित्व संरचना को देखते हुए, डिवेस्टमेंट की प्रक्रिया में जोखिमों का विस्तार होना संभव है।
    साथ ही, एंकर लॉक‑इन अवधि से शुरुआती ट्रेडिंग में वोलैटिलिटी को कम किया जा सकता है, जो दीर्घकालिक निवेशकों के लिए सकारात्मक है।
    समग्र रूप से, यह इश्यू एक संतुलित जोखिम‑रिटर्न प्रोफ़ाइल पेश करता है, बशर्ते निवेशक अपनी पोर्टफ़ोलियो में इसे सही अनुपात में रखें।

  • PRAVIN PRAJAPAT
    PRAVIN PRAJAPAT

    दीर्घकालिक विश्लेषण में देखें तो इस IPO की संरचना में अनिश्चितताएँ बहुत ज्यादा हैं।
    क्वोटा विभाजन और लॉक‑इन जैसी शर्तें मूलभूत निवेश सिद्धांतों के विरुद्ध लगती हैं।
    बाजार में उतार‑चढ़ाव को देखते हुए, ऐसी नीतियाँ अस्थिरता को बढ़ा सकती हैं।
    विशेषकर जब 100% OFS के साथ पूँजी नहीं उठाई जाती, तो यह केवल सेकंडरी मार्केट में मूल्यांकन का इंतजाम है।
    यह बात निवेशकों को सतर्क करती है कि केवल बैंड की ओर नहीं, बल्कि पोर्टफोलियो के समग्र जोखिम प्रबंधन पर ध्यान देना चाहिए।

  • shirish patel
    shirish patel

    वाह, क्या शानदार डिल है! बिल्कुल वही जो मेरे सार्किटिक पोर्टफोलियो को चाहिए-थोड़ा सा स्टाइल, थोड़ा सा स्पाइक्स, और भरपूर मज़ा।
    फेस वैल्यू ₹10 पर 1,080‑1,140 की रेंज, मतलब मीट्री का खजाना!
    क्वोटा के मिलते‑जुलते टुकड़े और एंकर लॉक‑इन, कौन नहीं चाहता थोड़ा ड्रामा?
    बिलकुल सही, यह IPO मेरे शेयर‑गोल्डन रेज़र की ताकत को बढ़ाएगा।
    चलो, फिर जल्दी से एंट्री मारते हैं, क्योंकि इस बार तो फाइनेंशियल जॉय के बिना कोई नहीं बचा।

  • srinivasan selvaraj
    srinivasan selvaraj

    बाजार में यह इश्यू देखने लायक है।

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