मलयालम अभिनेता सिद्धिक को बलात्कार मामले में गिरफ्तारी से राहत की अवधि दो सप्ताह बढ़ाई गई

/ द्वारा रिमा भारती / 0 टिप्पणी(s)
मलयालम अभिनेता सिद्धिक को बलात्कार मामले में गिरफ्तारी से राहत की अवधि दो सप्ताह बढ़ाई गई

मलयालम अभिनेता सिद्धिक को सुप्रीम कोर्ट से राहत

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में मलयालम अभिनेता सिद्धिक के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उनकी गिरफ्तारी से सुरक्षा की अवधि को दो सप्ताह के लिए बढ़ाने का निर्णय लिया है। इस विवादास्पद मामले में एक युवा अभिनेत्री ने 2016 में सिद्धिक पर बलात्कार का आरोप लगाया था। इन आरोपों की पुष्टि और उनकी गहन जाँच का जिम्मा केरल पुलिस के पास है। न्यायाधीश बेला एम त्रिवेदी और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने सिद्धिक को राज्य पुलिस की स्थिति रिपोर्ट के जवाब में एक प्रतिलिपि शपथ पत्र दाखिल करने के लिए यह समय दिया।

केरल पुलिस का विरोध और प्रतिक्रिया

केरल पुलिस इस अंतरिम सुरक्षा के सख्त खिलाफ है। उनका कहना है कि अभिनेता के पास पर्याप्त सबूतों का भंडार है जो उनके हस्तक्षेप और प्रभाव के कारण मिट सकते हैं। पुलिस का दावा है कि सिद्धिक के खिलाफ सबूत इकठ्ठा करना चुनौतीपूर्ण था क्योंकि आरोपी ने इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और सोशल मीडिया अकाउंट्स को नष्ट कर दिया है, जो जांच के लिए निष्कर्ष हैं।

उद्योग में सूराख की कहानी

करीब सितम्बर 2018 से एक सक्रिय अभियान चल रहा है जिसमें कई पीड़िताएं उद्योग में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ अपनी आवाज़ उठा रही हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने अदालत में कहा कि पीड़िता अपने फेसबुक अकाउंट पर लगातार यह मुद्दा उठाती रही है। यह दिखाता है कि सुपरस्टार के खिलाफ बोलना कितना मुश्किल है।

न्यायालय की सत्यापित स्थिति

अदालत ने इस अधिकरण को सिद्धिक द्वारा सबूत नष्ट करने की सरकारी सिफ़ारिशों को खारिज किया, उनका कहना रहा कि अगर ऐसा होता तो वह पहले ही कर चुके होते। इस मामले को दिवाली की छुट्टियों के बाद पुनः सुनवाई के लिए ले लिया गया है।

बलात्कार मामलों में फिल्म उद्योग की चल रही समस्याएं

सिद्धिक का यह मामला मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न के कई मामलों में से एक है। 17 मामलों का पंजीकरण न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट के जारी होने के बाद हुआ है जिसमें कई अन्य ज्ञात हस्तियों के नाम भी सामने आए हैं। इनमें जयासूर्या, एडवला बाबू, और मनियनपिला राजू भी शामिल हैं, जिन्हें भी पूर्वग्रहण राहत दी गई है।

इस पूरे प्रकरण ने इस बात को उजागर किया है कि कैसे फिल्म उद्योग में साहस के साथ सामने आने वाली महिलाओं को धमकी दी जाती है और कैसे न्याय पाने की उनकी उम्मीदों के खिलाफ बाधाएं खड़ी की जाती हैं। न्यायालय की ओर से इन मामलों को गंभीरता से लिया जा रहा है और अंतत: सचाई की जीत होगी इस पर सभी की नज़र है।

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