IAS अधिकारी पूजा खेडकर का विवाद
पूजा खेडकर, 2023 बैच की प्रशिक्षु IAS अधिकारी, इन दिनों चर्चा में हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने UPSC परीक्षा पास करने के लिए फर्जी विकलांगता प्रमाणपत्र का उपयोग किया। यह प्रमाणपत्र उनके दृष्टि संबंधी विकलांगता को दर्शाता था। पूजा खेडकर, जो कि पूर्व अधिकारी दिलीप खेडकर की बेटी हैं, अब इस आरोप के चलते विवादों में घिर गई हैं।
चिकित्सा परीक्षण का टाल-मटोल
पूजा को दिल्ली के AIIMS अस्पताल में छह बार चिकित्सा परीक्षण के लिए बुलाया गया था, लेकिन उन सभी बार वह इससे बचती रहीं। चिकित्सा परीक्षणों में उनकी अनुपस्थिति ने एफआईआर के आरोपों को और मजबूत किया है। यह भी देखा गया है कि उन्होंने जानबूझकर इन परीक्षणों से बचने की कोशिश की थी, जिसका परिणाम यह हुआ कि यह मामला और गरम हो गया।
पहली तैनाती और तबादला
पूजा की पहली तैनाती पुणे में जून माह में हुई थी, लेकिन जल्द ही वे विवादों में आ गईं। उनकी विवादास्पद मांगों के चलते उन्हें वाशिम जिले में स्थानांतरित कर दिया गया। पुणे में तैनाती के दौरान उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों से अलग बैठक कक्ष, वाहन, आवास, और एक परिचारक की मांग की थी। इसके अलावा, उन्होंने एक वरिष्ठ अधिकारी के एंट्रेचैम्बर पर भी कब्जा कर लिया था और निजी वाहन पर लाल बत्ती का उपयोग किया था।
आरोपों की व्यापक जांच
इन सभी घटनाओं के चलते पुणे जिला कलेक्टर सुहास दिवासे ने उनके खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज कराई। अब यह जांच का विषय है कि क्या वाकई में पूजा खेडकर ने फर्जी विकलांगता प्रमाणपत्र का सहारा लिया था और किन-किन लोगों का इसमें हाथ था। जिला कलेक्टर की शिकायत ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है और यह देखना दिलचस्प होगा कि जांच में किन तथ्यों का खुलासा होता है।
सामाजिक और संवैधानिक दृष्टिकोण
इस प्रकरण ने कई सामाजिक और संवैधानिक प्रश्न खड़े किए हैं। क्या प्रशासनिक सेवा में चयन के लिए फर्जी विकलांगता प्रमाणपत्र का उपयोग करना देश की न्याय प्रणाली पर सवाल नहीं उठाता? क्या यह उन वास्तविक विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों का हनन नहीं है जो अपनी मेहनत और सच्चाई के बल पर इस मुकाम तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं?
अधिकारियों की जिम्मेदारी
इस मामले में अधिकारियों की भी जिम्मेदारी है कि वे चयन प्रक्रिया को और मजबूत और पारदर्शी बनाए। UPSC जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में उम्मीदवारों की जांच-परख में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा, ऐसे मामलों में त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
न्याय की अपेक्षा
अब देखना होगा कि इस मामले में जाने वाली जांच क्या निष्कर्ष निकालती है और पूजा खेडकर के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है। जनता और मीडिया की निगाहें इस प्रकरण पर टिकी हैं और सबको न्यायिक प्रणाली पर पूरा भरोसा है कि सत्य सामने आएगा।
समाज के लिए संदेश
इस घटना ने समाज के सामने एक स्पष्ट संदेश दिया है कि किसी भी प्रकार की गलत गतिविधि या धोखाधड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सभी नागरिकों को इसके प्रति सचेत रहना होगा और किसी भी प्रकार की अनियमितता को सामूहिक रूप से नकारना होगा।
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