2025 की आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में भारतीय कप्तान रोहित शर्मा और स्पिनर कुलदीप यादव के बीच ऑन-फील्ड बहस ने काफी ध्यान आकर्षित किया। जब शर्मा ने अपने साथी खिलाड़ी कुलदीप पर फील्डिंग में कमी को लेकर नाराजगी ज़ाहिर की, तो यह सबके लिए एक चर्चा का विषय बन गया। हालांकि, भारतीय टीम के लिए यह सुर्खियां बनने की बजाय, यह बेहतर टीम काम करने का हिस्सा था।
रोहित का प्रतिक्रिया
शर्मा ने इस बहस को स्पष्ट करते हुए कहा कि खेल की प्रबल भावना के कारण यह रिएक्शन था। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में और न्यूजीलैंड के खिलाफ फाइनल में हुई इन घटनाओं ने लोगों का ध्यान खींचा। सेमीफाइनल में, 4 मार्च के दिन, यादव के एक थ्रो को संभालने में चूक कर दी थी, जिससे स्टीव स्मिथ को रन-आउट होने से बचने का मौका मिला। वहीं, फाइनल में न्यूजीलैंड के माइकल ब्रेसवेल को रन-आउट करने का मौका चूकने के बाद, कोहली और रविन्द्र जडेजा ने भी निराशा जताई।
रोहित ने कहा, 'मैदान पर भावनाएं उफान पर होती हैं। कभी-कभी मैं उसमें बहक जाता हूं, लेकिन यह खेल की भावना का हिस्सा है। जो शब्द कहे जाते हैं, वह किसी को आहत करने के लिए नहीं होते, बल्कि हमारी प्रतिबद्धता और भावना का प्रदर्शन करते हैं।'
फिर भी, कुलदीप यादव ने खुद को सिद्ध किया, जब उन्होंने रचिन रविंद्र और केन विलियमसन जैसे महत्वपूर्ण विकेट हासिल किए।

भारतीय टीम की विजय
आखिरकार, भारतीय टीम बिना एक भी टॉस जीते पूरे टूर्नामेंट में विजयी रही। इस विजय को शर्मा ने टीम को एकजुटता का प्रतीक बताया और अपनी 76 रनों की महत्वपूर्ण पारी से फाइनल में 252 रनों का लक्ष्य हासिल किया। इस जीत ने भारत के क्रिकेट इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा, जो टीम की संघर्षशील मानसिकता को प्रदर्शित करता है।
यह स्पष्ट है कि जब मैदान पर किर्केटरों की भावनाएं प्रबल होती हैं, तो उनका असर उनके व्यवहार पर होता है। लेकिन ये वही भावनाएं हैं जो उन्हें असंभव को संभव बनाने के लिए प्रेरित करती हैं।
एक टिप्पणी लिखें