त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भीषण दुर्घटना
काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर साउयरा एयरलाइंस का एक विमान टेकऑफ के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिससे 18 लोगों की जान चली गई। यह घटना नेपाल के इतिहास में विमानन के प्रति चिंता को और बढ़ा देती है, जहां पहले से ही कई विमान दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।
विमान पर कुल 19 लोग सवार थे, जिनमें से केवल पायलट ही जीवित बच सके हैं। विमान पोखरा की ओर जा रहा था जब इसने अचानक त्रिभुवन हवाई अड्डे के रनवे पर संतुलन खो दिया और दुर्घटनाग्रस्त हो गया। दुर्घटना के तुरंत बाद हवाई अड्डे को बंद कर दिया गया और आपातकालीन कर्मियों द्वारा बचाव कार्य शुरू कर दिए गए।
नेपाल में विमान दुर्घटनाएं अब आम हो गई हैं। 1962 से जनवरी 2023 तक के दौरान, नेपाल में 72 घातक हवाई दुर्घटनाओं में 935 लोगों की जान गई है। यूरोपीय आयोग ने नेपाली एयरलाइंस पर प्रतिबंध लगा रखा है, जो उन्हें यूरोपीय संघ के देशों में उड़ान भरने से रोकता है।
त्रिभुवन हवाई अड्डे की चुनौतीपूर्ण स्थिति
त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा नेपाल का एक मात्र अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है, लेकिन इसके परिचालन में कई चुनौतियां हैं। यह हवाई अड्डा काठमांडू के मध्य में स्थित है, जहां एक ही बम्पी रनवे है और सुविधाएं भी अपर्याप्त हैं। हवाई अड्डे के रनवे की लंबाई 3,000 मीटर से अधिक है, लेकिन यह ट्रैफिक की उच्च मात्रा को संभालने में असमर्थ है।
त्रिभुवन हवाई अड्डा अपनी इन समस्याओं के कारण अक्सर दुर्घटनाओं का गवाह बनता है। खराब इन्फ्रास्ट्रक्चर और अपर्याप्त मेंटेनेंस के चलते कई बार टेकऑफ और लैंडिंग के दौरान एयरक्राफ्ट दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं।
दुर्घटना की जांच और भविष्य की सुरक्षा
फिलहाल, दुर्घटना के कारणों की जांच की जा रही है। हालांकि, प्राथमिक जांच में यह समझा गया है कि विमान में तकनीकी खराबी हो सकती है, या रनवे की खराब स्थिति भी एक कारण हो सकती है।
नेपाल में बढ़ती विमान दुर्घटनाओं की एक मुख्य वजह यहां की जटिल भूगोल है। हिमालय के घने पर्वतों के बीचोंबीच बसे इस देश में हवाई यात्रा हमेशा जोखिम भरी रही है। साथ ही, यहां के हवाई अड्डों की खराब हालत इस समस्या को और जटिल बना देती है।
क्या बदलाव आवश्यक है?
नेपाल की सरकार और विमानन संस्थाओं को मिलकर, इन समस्याओं का समाधान खोजना चाहिए। हवाई अड्डों की आधुनिकता और सुरक्षा के लिए समय पर मेंटेनेंस आवश्यक है। पायलट और अन्य हवाई कर्मचारीयों की ट्रेनिंग और उपकरणों की अद्यतन करना भी अनिवार्य है।
इस दुर्घटना ने फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि नेपाल में हवाई यात्रा कब सुरक्षित बनेगी। सरकार और संबंधित एजेंसियों को मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
नए विमानों की आवश्यकता
नेपाल को आवश्यकता है नए और आधुनिक विमानों की, जो नवीनतम तकनीक से लैस हों और उड़ान के दौरान बेहतर प्रदर्शन कर सकें। साथ ही, पुराने और जर्जर विमानों की सेवा से मुक्त करना अत्यंत आवश्यक है।
नए विमानों की खरीद और पुराने विमानों को निष्क्रिय करना एक महंगा कदम हो सकता है, लेकिन इसकी कीमत मानव जीवन से बढ़कर नहीं हो सकती। नेपाली एयरलाइंस को इस दिशा में गंभीरता से विचार करना होगा और आवश्यक कदम उठाने होंगे।
सामुदायिक सहयोग और जागरूकता
अंत में, हवाई यात्रा की सुरक्षा में सामुदायिक सहयोग और यात्री जागरूकता की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यात्रियों को भी हवाई यात्रा के समय सुरक्षा नियमों का पालन करने और किसी भी संदेहास्पद गतिविधि को संबंधित अधिकारियों को सूचित करने की आदत डालनी होगी।
ऐसी घटनाओं के बाद नियत समय पर सुधारात्मक कदम उठाना और जागरूकता फैलाना आवश्यक है, ताकि भविष्य में इसी प्रकार की हानियों से बचा जा सके।
हवाई यात्रा की सुरक्षा सुनिश्चित करना एक सामूहिक जिम्मेदारी है और इसके लिए सभी संबंधित पक्षों को मिलकर कार्य करना होगा। इस दिशा में उठाए गए छोटे-छोटे कदम भी यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से बड़े परिणाम दे सकते हैं।
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